हिसार,
अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति द्वारा जसिया (रोहतक) में भाईचारा रैली के दौरान सरकार की आरक्षण व मुकदमें वापसी को लेकर तीन बार के समझौते पर वायदाखिलाफी करने के विरोध में प्रदेश के मुख्यमंत्री व वित्तमंत्री का ग्रामीण इलाकों में विरोध करने का फैसला लिया गया था। 1 सितंबर को वित्तमंत्री कै. अभिमन्यु हांसी हलका के गांव उमरा में लड़कियों की तीरंदाजी प्रतियोगिता में आने के प्रोग्राम में आने पर सातबास व संघर्ष समिति ने 31 अगस्त को पंचायत करके फैसला लिया था कि लड़कियों की प्रतियोगिता पूर्ण रूप से शांतिप्रिय हो। इसके लिए पंचायत में फैसला हुआ कि संघर्ष समिति गांव में विरोध न करके बाहर विरोध करेगी और सातबास के लोग इस प्रतियोगिता के समारोह में शिरकत नहीं करेंगे। दोनों पक्षों ने अपना वायदा निभाया। यह बात आज अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के प्रदेश मुख्य महासचिव रामभगत मलिक ने एक बयान जारी कर कही।
उन्होंने कहा कि सातबास के लोगों ने आरक्षण की लड़ाई में 2010 से लगातार बहुत बड़ी हिस्सेदारी की है, जिसके लिए 36 बिरादरी के लोगों का संघर्ष समिति धन्यवाद व्यक्त करती है। उन्होंने बताया कि सरकार व पुलिस प्रशासन द्वारा अंग्रेजी राज को पीछे छोड़ते हुए जो दमनकारी नीति अपनाई है, उससे भाजपा सरकार का असली चेहरा बेनकाब हो गया है। प्रशासन द्वारा सातबास के गांवों व चौराहों पर पुलिस लगा कर लोगों को रोकने व धमकी देकर वापस भेजना, हिसार जिला के बार्डर सील कर समाज के लोगों को बाहर से आने पर हिरासत में लेना व थानों में बंद करना सरकार की दमनकारी नीति को दर्शाता है। समाज इसकी भत्र्सना करता है।
प्रदेश महासचिव रामभगत मलिक ने कहा कि हमारी लड़ाई किसी सरकार को अस्थिर करना व किसी मंत्री से दुश्मनी करना नहीं है, कि उसको अपने प्रोग्राम के लिए रास्ता बदलना पड़े और अपने कार्यक्रम को बीच में अधूरा छोड़ कर जाना पड़े। उन्होंने कहा कि समाज की सोच टकराव की नहीं है। संघर्ष समिति प्रदेश में भाईचारा बनाकर समाज का हक मांग रही है, जिसको लेकर सरकार ने वायदा किया था। उन्होंने कहा कि सरकार अपना वायदा जल्दी निभाए, ताकि समाज व प्रदेश आगे बढ़ सके।