हिसार

पटवारियों ने फिल्ड में जाकर लिया ऑनलाइन गिरदावरी का प्रशिक्षण

आदमपुर (अग्रवाल)
आदमपुर तहसील के सभी 20 पटवारियों ने आज फिल्ड में रहकर टेबलेट पर ऑनलाइन गिरदावरी करने का प्रशिक्षण लिया। विशेषज्ञों ने पटवारियों को खेतों में ले जाकर टेबलेट पर खसरा-खेवट दिखाते हुए ऑनलाइन गिरदावरी के तमाम पहलुओं से रूबरू करवाया। टेबलेट पर जमीन का तमाम रिकॉर्ड और खसरा-खेवट का विवरण पहले ही मौजूद होने के चलते गिरदावरी का यह तरीका पटवारियों को बहुत आसान लगा जिस पर वे इसे लेकर उत्साहित नजर आए।
दरअसल, गिरदावरी के काम को तकनीक के माध्यम से आसान व पारदर्शी बनाने की दिशा में प्रदेश सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों की एक-एक तहसील में ऑनलाइन टेबलेट के माध्यम से गिरदावरी करवाने का महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसके तहत हिसार में आदमपुर तहसील को चुना गया है। बाद में इस प्रोजेक्ट को सभी तहसीलों में शुरू करने की योजना है। पायलेट प्रोजेक्ट के संबंध में आदमपुर तहसील के पटवारियों को कल एनआईसी के कॉन्फ्रेंस रूम में जिला सूचना अधिकारी एमपी कुलश्रेष्ठ ने प्रशिक्षण दिया था और प्रोजेक्ट के संबंध में सभी महत्वपूर्ण पहलुओं से रूबरू करवाया था।
प्रशिक्षण के दूसरे चरण में आज एनआईसी के तहत कार्य कर रहे जूनियर प्रोग्रामर संजीव व विक्रम ने आदमपुर तहसील के सभी 20 पटवारियों को गांव कोहली में ले जाकर उन्हें टेबलेट पर ही खेत का भूमि रिकॉर्ड दिखाते हुए वहां बोई गई फसल का टेबलेट में इंस्टाल सॉफ्टवेयर के माध्यम से फोटो लेकर गिरदावरी करना सिखाया। पटवारियों को यह कार्य इतना आसान लगा कि उन्होंने स्वयं को तुरंत टेबलेट पर गिरदावरी करने में सक्षम बताया। उन्होंने खुशी जाहिर की कि टेबलेट पर भूमि का पूरा रिकॉर्ड उपलब्ध होने से उन्हें केवल उस स्थान पर जाकर प्रत्येक एकड़ में बोई गई फसल का फोटो खिंचना है जिसके साथ ही गिरदावरी का कार्य पूरा हो जाएगा। ऑनलाइन होने के कारण उन्हें इसका रिकॉर्ड मेंटेन करने की जिम्मेदारी से भी मुक्ति मिलेगी। उन्होंने कहा कि वे खरीफ फसल की गिरदावरी ऑनलाइन टेबलेट के माध्यम से करने के लिए तैयार हैं। पटवारियों के अनुरोध पर उन्हें भोडिया बिश्रोइयान की गिरदावरी करने के लिए टेबलेट उपलब्ध करवाए गए हैं।
विशेषज्ञों ने बताया कि मैनुअल गिरदावरी में कई बार पटवारी घर या दफ्तर में बैठकर ही रिकॉर्ड में फसलों का विवरण दर्ज कर देते थे जिससे तथ्यों में असमानता आती थी और सरकारी सहायता अथवा मुआवजा वितरण के दौरान दिक्कत आती थी। कई बार पटवारियों पर भी इसकी गाज गिरती थी। लेकिन ऑनलाइन गिरदावरी होने से खेत में जाकर टेबलेट के माध्यम से फोटो लिए बिना गिरदावरी का कार्य पूर्ण नहीं हो पाएगा इसलिए पटवारी को गिरदावरी के लिए हर हाल में खेत में जाना ही पड़ेगा।
उन्होंने बताया कि पटवारी जब खेवट व खसरा नंबर के अनुसार खेत में जाकर फसल की फोटो लेगा तब फोटो के साथ भूमि के जीपीएस कॉर्डिनेट्स भी साथ ही कैप्चर हो जाएंगे जिससे गिरदावरी की असली रिपोर्ट प्रशासन व सरकार के पास पहुंचेगी। इससे गिरदावरी के काम में तेजी व पारदर्शिता आएगी तथा पटवारियों का काम भी आसान हो जाएगा। फसल में खराबी आदि की स्थिति में हरेक एकड़ में बोई गई फसल का विवरण प्रशासन के पास मौजूद होने के चलते किसानों को त्वरित गति से मुआवजा दिया जा सकेगा।

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