हिसार,
वरिष्ठ समाजसेवी गुलजार सिंह काहलों ने रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान उन पर दमनकारी कार्रवाई करने व उनके ट्रेड यूनियन अधिकारों को कुचले जाने की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि सरकार एवं पुलिस प्रशासन की इस कार्रवाही ने अंग्रेजी शासन की याद ताजा कर दी है।
एक बयान में गुलजार सिंह काहलों ने कहा कि हड़ताल या धरने-प्रदर्शन करना कर्मचारियों का मौलिक अधिकार है लेकिन सरकार उनके इस अधिकार को कुचलकर दमनकारी नीतियां अपना रही है जो निंदनीय है। उन्होंने कहा कि परिवहन मंत्री एवं विभाग के उच्चाधिकारी विभाग को घाटे में धकेलने की सोची-समझी योजना के तहत 700 निजी बसें किराये पर चलाना चाहते हैं और इसमें बहुत बड़े घोटाले की बू आ रही है। रोडवेज कर्मचारी भी इन निजी बसों के संचालन में घोटाले का आरोप लगाते हुए इसकी जांच की मांग कर रहे हैं तो इसमें गलत क्या है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार, परिवहन मंत्री एवं विभाग के उच्चाधिकारी पाक साफ है तो उन्हें रोडवेज कर्मचारियों के आरोपों की जांच करवाकर अपने साफ साबित करना चाहिए अन्यथा रोडवेज कर्मियों के आरोपों को मानकर निजी बसें किराये पर चलाने से हाथ खींच लेने चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर बढ़ा है और 700 निजी बसें किराये पर लेकर चलाना भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण है। उन्होंने कहा कि शहर की जनता एवं प्रबुद्ध वर्ग भी सरकार से जवाब चाहता है कि जब रोडवेज के बेड़े में साधारण बसें उपलब्ध है तो फिर निजी बसें क्यों चलाई जा रही है। उन्होंने सरकार से मांग की कि रोडवेज कर्मचारियों पर दमनकारी कार्रवाही तुरंत रोकी जाए, उन पर बनाए गए केस रद्द किये जाएं तथा निजी बसें चलाने की बजाय साधारण बसें रोडवेज बेड़े में शामिल करके जनता व छात्र वर्ग की सुविधा दी जाए।