हिसार,
भारी वाहनों की सीट पर पुरुषों का एकछत्र राज रहा है..लेकिन अब उनके इस एकछत्र राज को चुनौती मिलने लगी है। अब पुरुषों का कार्यक्षेत्र माने जाने वाले बस चालक की सीट पर महिलाएं भी दिखाई देने लगी है।
गुराना निवासी सीमा ग्रेवाल बरवाला—नारनौंद क्षेत्र की पहली बस चालक बनी है। सीमा ग्रेवाल एफसी कॉलेज में बीए फाइनल की छात्रा है। बचपन से ही सीमा ग्रेवाल ने पारिवारिक जिम्मेदारियों अहसास हो गया। जब वो काफी छोटी थी तो पिता घर छोड़कर चले गए। ऐसे में परिवार वालों ने मां की शादी भी कहीं और कर दी। मां—पिता के प्यार से वंचित सीमा ग्रेवाल ने अपने जीवन की रुप—रेखा स्वयं लिखनी आरंभ की।
सीमा ग्रोवाल की बचपन से ड्राइविंग में रुचि थी। ऐसे में ऋषि नगर में पीजी में रहते हुए उसे रोडवेज की बसों को चलाने की ट्रेनिंग लेते युवा दिखाई दिए तो उसने भी बस चालने की ठान ली।
इसके बाद सीमा ग्रेवाल ने रोडवेज विभाग में ट्रैनिंग लेने के सोची और पहुंच गई सीधा रोडवेज विभाग की कार्यशाला में। कार्यशाला के मुख्यद्वार पर ही उसे ड्यूटी सेशन के कर्मचारियों ने रोक लिया। सीमा ग्रेवाल ने जब उनसे बस सिखने की इच्छा जाहिर की तो उसके मुहं की तरफ देखने लगे। बाद में उन्होंने सीमा ग्रेवाल को फार्म भरने को कहा।
सीमा ग्रोवाल ने बताया कि वह अपने पैरों पर खड़ा होकर समाज को दिखाना चाहती है कि अभाव भरा बचपन भी बहुत कुछ करने के लिए प्रेरित करता है। हैवी लाइसैंस मिलने के बाद वह आर्मी या फायर बिग्रेड में चालक बनना पसंद करेगी। करीब 1 साल पहले लाइट लाइसैंस बनने के बाद सीमा ने कार, जीप और अन्य वाहनों को रेगुलर चलाया। लेकिन कुछ अलग करने के सपने पर बढ़ते हुए सीमा ग्रेवाल हैवी लाइसैंस के लिए हिसार रोडवेज ट्रैनिंग सैंटर में 9 नवंबर से 15 दिसंबर तक 35 दिन की ट्रैनिंग ले रही है और करीब 1 महीने बाद सीमा को हैवी गाड़ी का लाइसैंस मिल जाएगा।
प्रशिक्षक सुलेश इंदौरा ने बताया कि सीमा ग्रेवाल पहले से ही कार आदि वाहन चलाने में माहिर है इसलिए बेटी को थोड़ा बहुत बताने पर ही वह बड़ी आसानी से रोडवेज बस चलाने लगी। वहीं सीमा ग्रेवाल का कहना है बस चलाने में ज्यादी परेशानी नहीं आई। सीमा की सहेलियों ने कहा कि यदि लड़कियां कुछ करने की ठानकर उस पर हौंसले के साथ आगे बढ़ेगी तभी हमारा देश प्रगति कर सकता है।
previous post