हिसार

शिक्षक मा. हरिराम तुरकिया ने मरणोपरांत देहदान कर समाज के लिए पेश की मिसाल

हिसार,
कुछ लोग अपने जीवन में तो सामाजिक कार्यों से समाज व देश का भला करते ही हैं बल्कि मृत्यु के बाद वे अपने इस दायित्व को निभाने से नहीं चूकते। ऐसे ही एक महान आत्मा मा. हरिराम तुरकिया थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन शिक्षा के क्षेत्र में व्यतीत किया और मरणोपरांत भी मानवता की भलाई के लिए अपनी देह दान कर दी। वहीं उन्होंने अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करने का कार्य किया।
11 मई 1931 को जन्मे मा. हरिराम तुरकिया का 12 जनवरी शनिवार को देहांत हो गया। उन्होंने 15 वर्ष पूर्व अपनी देहदान जैसा अनुकरणीय निर्णय लिया और आज अग्रोहा मैडिकल कॉलेज की एंबुलेंस में उनके पार्थिव शरीर को ससम्मान विदा किया गया। इस अवसर पर श्री तुरकिया के परिजनों सहित हनुमान ऐरन, पार्षद उमेद खन्ना, जितेंद्र भ्याणा, अमित सैन, योगेश आर्य सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
इस मौके पर हनुमान ऐरन ने कहा कि मा. हरिराम तुरकिया ने मरणोपरांत अपनी देहदान कर पूरे समाज के समक्ष एक मिसाल प्रस्तुत की है। उनके शरीर पर रिसर्च करके मानवता का कितना भला होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। अपने जीते जी तो सभी समाज सेवा व पुण्य के कार्य करते हैं लेकिन श्री तुरकिया ने तो मृत्यु के बाद भी ऐसा पुण्य का कार्य किया है जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है। अपने जीवनकाल में उन्होंने शिक्षा की ज्योति फैलाई वहीं मृत्यु के बाद भी समाज को एक अच्छा संदेश देकर गए हैं। उन्होंने न केवल स्वयं देहदान किया बल्कि अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित किया इसी का परिणाम है कि उनके तीन पुत्रों व पुत्रवधुओं ने भी मरणोपरांत अपनी आंखें दान करने का फैसला लिया है। मा. हरिराम तुरकिया ने ऐसा करके हम लोगों के बीच सदा अमर रहने का कार्य किया है। ऐसी पुण्यात्मा को मैं हृदय से नमन करता हूं और उन्हें भावभीनि श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके परिवार को यह दु:ख सहन करने की ईश्वर से प्रार्थना करता हूं।

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