जींद,
जींद उपुचनाव में रविवार का दिन काफी अह्म रहा। यहां मुकाबले में चल रहे 3 प्रमुख दलों को वोटों के हिसाब से आज काफी फायदा पहुंचा है। भाजपा, जेजेपी और कांग्रेस के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण रहा। तीनों दलों ने एक के बाद एक पत्ते ऐसे फैंके की जींद उपचुनाव का मुकाबला और अधिक रोचक हो गया।
भाजपा को ग्रुप डी का फायदा
सरकार ने आज ग्रुप डी का रिजल्ट आउट कर दिया। इससे भाजपा को जींद उपचुनाव में 3-4 हजार वोटों तक का फायदा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। जींद विधानसभा से अच्छी संख्या में युवाओं का ग्रुप डी में चयन हुआ है। ऐसे में चयनित युवाओं और उसके परिवार सदस्यों का वोट भाजपा के पक्ष में जाना तय माना जा रहा है। इसके अलावा भाजपा ने आज जाट नेता टेकराम केंडेला को मनाने में कामयाबी हासिल कर ली। भाजपा को पता है कि बिना स्थानीय जाट नेताओं के जींद से जाट मतदाताओं के वोट प्राप्त करना आसान नहीं है। इसके चलते भाजपा नेताओं ने पहले सुरेंद्र बरवाला को मनाया और अब टेकराम केंडेला मनाकर भाजपा ने जाट वोटों को लुभावने का काम किया है।
क्या चाहिए जीत के लिए
भाजपा को जींद उपचुनाव का मैदान जीतने के लिए शहरी क्षेत्र में नम्बर वन और ग्रामीण क्षेत्रों में हर बूथ पर कम से कम नबंर दो पर रहना बेहद जरुरी है। ऐसा करने के लिए भाजपा को जाट नेताओं के साथ—साथ पिछड़ी जाति के लोगों का भी विश्वास जीतना होगा। शासन से नाराज चल रहे अनाज मंडी के व्यापारी वर्ग, कर्मचारियों को भी भाजपा को मनाना होगा।
कांग्रेस को मिला जयप्रकाश का साथ
कांग्रेस को जींद उपचुनाव में सबसे बड़े चेहरे जयप्रकाश का साथ मिल गया है। रविवार को जयप्रकाश अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस प्रत्याशी रणदीप सुरजेवाले के लिए वोट मांगने आरंभ कर दिए। जींद विधानसभा में जयप्रकाश का कद काफी बड़ा है। ऐसे में उनका कांग्रेस के पक्ष में आने से गांवों के अलावा शहर के वोटों में भी सेंधमारी होनी तय है। बात दें, अपने बेटे को टिकिट न मिलने के कारण जयप्रकाश कांग्रेस से नराज चल रहे थे। लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी के प्रयासों के बाद जयप्रकाश ने कांग्रेस के आलानेताओं से दिल्ली जाकर मुलाकात की। वहां से ठोस आश्वासन मिलने के बाद रविवार को चुनाव मैदान में प्रचार के लिए उतर गए।
क्या चाहिए जीत के लिए
कांग्रेस प्रत्याशी को जींद उपचुनाव को जीतने के लिए प्रदेश स्तर के सभी कांग्रेसी नेताओं का मन से साथ चाहिए। इसके अलावा कांग्रेस का वोटबैंक माने जाने वाले पिछड़े वर्ग को अपने साथ बांधकर रखने के लिए कसरत करनी होगी। जाट वोट इस समय चार दलों में विभाजीत है। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी को अधिक से अधिक जाट मतदाताओं को अपनी तरफ लेकर आना होगा। शहर के व्यापारीवर्ग में जीएसटी और फसलों की ई—खरीद को लेकर भाजपा से नराजगी है। ऐसे में इस व्यापारियों की इस नराजगी को अपने पक्ष में आने के लिए कांग्रेस को मेहनत करनी होगी।
जेजेपी के साथ धर्मपाल
जींद विधानसभा से विधायक रहे पूर्व मंत्री परमानंद के बेटे धर्मपाल को जेजेपी अपने साथ लाने में कामयाब रही है। हिसार सांसद दुष्यंत चौटाला ने धर्मपाल को अपने साथ जोड़कर बैकवर्ड क्लास में सेंध लगा दी है। जींद हलके के बैकवर्ड क्लास में पूर्व मंत्री परमानंद प्रजापत का काफी रसूख रहा है। ऐसे में उनके बेटे धर्मपाल ने उपचुनाव के समय हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की अपनी सरकारी नौकरी से वीआरएस लेकर जेजेपी के साथ आना एक नया समीकरण पैदा करने की तरफ इशारा करता है। जींद में दुष्यंत चौटाला की छवि काफी पॉजिटिव बनी हुई है। चौ.देवीलाल के साथ रहे अधिकतर लोगों से सम्पर्क साधने में दुष्यंत चौटाला कामयाब रहे है। ऐसे में इस चुनाव में जेजेपी के पास पाने के लिए बहुत कुछ है और खोने के लिए कुछ भी नहीं है। दिग्विजय सिंह चौटाला को जींद के युवाओं के साथ—साथ बुजुर्गों का आशीर्वाद मिल रहा है। ऐसे में जेजेपी के साथ धर्मपाल के आ जाने से सोने पर सुहागे के समान माना जा रहा है।
क्या चाहिए जीत के लिए
जेजेपी को जाट मतदाताओं को अच्छा साथ मिल रहा है। गैरजाट के वोट पाने के लिए जेजेपी को काफी मेहनत करनी पड़ेगी। शहर के गैरजाट मतदाताओं को डा. अजय चौटाला और सांसद दुष्यंत चौटाला की सौम्य छवि काफी प्रभावित कर रही है। ऐसे में गैरजाट मतदाताओं को अपनी तरफ करने के लिए सांसद दुष्यंत चौटाला को शहरी क्षेत्र में दिन—रात एक करना होगा। डबवाली विधायक नैना चौटाला को जींद क्षेत्र की महिलाएं काफी पसंद कर रही है। ऐसे में उनको भी अगले 6 दिनों तक कड़ी मेहनत करनी होगी।