नई दिल्ली,
दिल्ली हाईकोर्ट ने रॉबर्ट वाड्रा की अग्रिम जमानत याचिका को सुनने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अग्रिम जमानत के लिए एक याचिका पर सुनवाई पटियाला हाउस कोर्ट में हो रही है इसलिए इस पर अभी यहां पर सुनवाई नहीं की जा सकती है। इसके साथ ही अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय को इस मामले में 2 हफ्ते के अंदर हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है। इससे पहले ईडी ने वाड्रा की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इसमें तथ्यों को जानबूझकर छिपाया गया और उन्हें कोई राहत नहीं दी जानी चाहिए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वाड्रा की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
गौरतलब है कि रॉबर्ट वाड्रा ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट का रुख कर मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में अपने खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दर्ज की गई प्राथमिकी रद्द करने की गुहार लगाई थी। जांच एजेंसी इस मामले में उनसे पूछताछ कर चुकी है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई वाड्रा की दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को धनशोधन मामले में वाड्रा को गिरफ्तारी से मिले अंतरिम संरक्षण की अवधि 25 तक बढ़ा दी थी। ईडी का यह मामला लंदन के 12, ब्रायंस्टन स्क्वायर स्थित 19 लाख पौंड की एक संपत्ति की खरीद में धनशोधन के आरोपों से जुड़ा है। यह संपत्ति कथित तौर पर वाड्रा की है।
अपनी अर्जी में वाड्रा ने मांग की थी कि पीएमएलए की धारा 3 (धनशोधन का अपराध), 17 (तलाश एवं जब्ती), 19 (गिरफ्तारी का हक), 24 (सबूत देने की जिम्मेदारी), 44 (विशेष अदालतों द्वारा सुनवाई योग्य अपराध) और 50 (सम्मन, दस्तावेज पेश करने और सबूत आदि देने से संबंधित अधिकारियों के अधिकार) को असंवैधानिक घोषित किया जाए। वाड्रा के अलावा उनके करीबी सहयोगी मनोज अरोड़ा ने भी उच्च न्यायालय में ऐसी ही एक अर्जी दाखिल की है। अरोड़ा स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी एलएलपी का कर्मचारी हैं। यह कंपनी वाड्रा की है।
ईडी ने निचली अदालत को बताया था यह मामला काला धन कानून के तहत हुए अपराध के आधार पर शुरू किया गया है। यह जांच कर से बचने के लिए अघोषित विदेशी संपत्ति से संबंधित है। वाड्रा की अग्रिम जमानत अर्जी निचली अदालत में लंबित है। उन्हें इस मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण मिला है।