चंडीगढ़,
चुनावी समय में आई सरसों की खरीद ने सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया। प्रदेश सरकार ने 28 मार्च से सरसों की खरीद सीधे सरकारी एजेंसियों से करने की घोषणा की थी। इस पर आढ़तियों ने सीधी खरीद के विरोध में हड़ताल का अल्टीमेटम दे दिया। चुनाव के समय व्यापारियों की नाराजगी को घाटे का सौदा देखते हुए सरकार ने सरसों की खरीद सीधे एजेंसियों के माध्यम से न करके आढ़तियों के माध्यम से करने की सहमति दे दी।
सोमवार को चंडीगढ़ में हरियाणा के मंडियों के आढ़तियों, मुख्यमंत्री और अधिकारियों के बीच 3 घंटे तक बैठक चली। इसमें फैसला हुआ कि केंद्र सरकार की नेफेड के लिए हैफेड के माध्यम से जो सरसों की खरीद होगी, उस पर 40 रुपए क्विंटल के हिसाब से आढ़तियों को कमिशन दिया जाए। सरकारी खरीद का भुगतान 7 दिन के अंदर किया जाएगा, 7 दिन से ज्यादा की देरी होने पर उसे ब्याज दिया जाएगा।
सरकार के इस फैसले से अधिकारी वर्ग भी खुश है। क्योंकि 28 मार्च से 7 अप्रैल तक आने वाली सरसों में नमी की मात्रा काफी अधिक होती है। यदि एजेंसिया सीधा खरीद करती तो चुनावी समय में सरकार के दवाब में अधिक नमी वाली सरसों भी अधिकारियों को खरीदनी पड़ती। लेकिन नमी के सुखने पर वजन घटता तो सरसों की घटती देना अधिकारियों के लिए परेशानी खड़ी कर देती। ऐसे में अब आढ़तियों के बीच में आ जाने से अधिकारी अप्रत्यक्ष रुप से सरसों की घटती आढ़तियों पर डाल देंगे।
बता दें, पिछले वर्ष सरकार ने सरसों की खरीद आढ़तियों के माध्यम से न करके सीधे एजेंसियों के माध्यम से की थी। उस समय भी आढ़तियों ने सरकार के इस कदम का विरोध किया था लेकिन सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ा था। लेकिन इस बार चुनाव के समय सरसों की खरीद आने से सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा और आढ़तियों के माध्यम से सरसों की खरीद करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
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