फतेहाबाद (साहिल रुखाया)
कानून के रखवाले यदि गैरकानूनी काम करते है तो उनको भी सजा मिलती है। ऐसा देखने को मिला है फतेहाबाद में। कोर्ट ने कानून को हाथ में लेने पर 5 पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई।
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संदीप गर्ग की कोर्ट ने पुलिस हिरासत में पीटने से हुई युवक की मौत के मामले में जीआरपी जाखल के पांच पुलिसकर्मियों को पांच साल कैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही सभी पर 21-21 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने आदेश दिया कि जुर्माने की राशि में से एक लाख रुपये मृतक की विधवा कैलो देवी को देने होंगे।
इस प्रकरण में मृतक के भाई जींद जिले के खल निवासी शमशेर सिंह ने कोर्ट में दायर याचिका में बताया था कि उसका भाई दलबीर सिंह 15 मार्च 2008 को ब्यास डेरा में गया था। वह जाखल रेलवे स्टेशन से ट्रेन में चढ़ा था। 18 मई 2008 को आरोपित पुलिसकर्मी रणबीर सिंह ने उसके घर आकर कहा कि रोहतक पीजीआई चलना है, वहां उसका भाई दाखिल है। जब वह रोहतक पीजीआई गया तो उसके भाई के शरीर पर चोटों के निशान थे और उसका चेहरा भी पहचान में नहीं आ रहा था। 20 मई को उसने दम तोड़ दिया।
बाद में उसे पता चला कि 16 मई 2008 को जीआरपी जाखल ने उसके भाई के खिलाफ धारा 294 के तहत झूठा केस दर्ज किया था। इस दौरान जीआरपी पुलिस थाना जाखल में तैनात एएसआई राजेंद्र कुमार, ईएएसआई श्रीराम, ईएचसी रणबीर सिंह, कांस्टेबल राम भट्ट और ईएचसी विजय सिंह ने हिरासत के दौरान दलबीर सिंह की लाठियों से पिटाई की। इसके बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने 30 मई तक उसे जेल भेज दिया था, लेकिन दलबीर के शरीर पर चोटों के निशान देखते हुए जेल अथॉर्टी ने कस्टडी में लेने से मना कर दिया था।
इसके बाद उसके भाई को हिसार के अस्पताल में दाखिल करवाया गया और बाद में रोहतक रेफर कर दिया गया, वहां उसकी मौत हो गई थी। शमशेर की याचिका पर टोहाना के न्यायिक दंडाधिकारी अमित सिहाग ने 5 मार्च 2014 को जीआरपी पुलिस थाना जाखल में तैनात एएसआई राजेंद्र कुमार, ईएएसआई श्रीराम, ईएचसी रणबीर सिंह, कांस्टेबल राम भट्ट और ईएचसी विजय सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया था। बाद में सेशन ट्रायल होने के कारण टोहाना कोर्ट से यह केस फतेहाबाद की सेशन कोर्ट में रेफर कर दिया गया था। यहां पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सजा सुनाई है।
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