फतेहाबाद (साहिल रुखाया)
गांव ढाणी ढाका-ईस्सर के ग्रामीणों ने अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में नहीं पढ़ाने का फैसला लिया है। यहां तक गांव में पंचायत बुलाकर सर्वसम्मति से इस निर्णय पर मुहर लगाई गई और गांव के बच्चों को गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ाने का फैसला लिया गया। गांव का एक भी युवा ग्रुप डी के तहत चयनित नहीं हो पाया जिससे यह देखा गया कि प्राइवेट स्कूलों में लाखों रुपयो की फीस भरकर बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पा रही है। ऐसे में अब खुद ग्रामीणों ने पंचायत के जरिए गांव के ही सरकारी स्कूल में प्राइवेट जैसी सुविधा बनाकर अपने बच्चों को गांव में ही अपनी निगरानी में पढ़ाने का फैसला लिया है।
1 अप्रैल से सरकारी स्कूलों में एडमिशन शुरू होने के साथ ही आज ग्रामीणों ने भी गांव के सरकारी स्कूल में प्रवेश उत्सव का आयोजन किया जिसके तहत गांव के सभी करीब सवा तीन सौ बच्चों का दाखिला स्कूल में उनके अभिभावकों ने करवाया। इस प्रवेश उत्सव में जिला की एडीसी (एडिशनल डिप्टी कमिश्नर) डॉ. सुभीता ढाका मुख्यातिथि के तौर पर पहुंचीं और उन्होंने ग्रामीणों की इस पहल को एक अभियान के तौर पर पूरे हरियाणा के लिए मिसाल बताया। एडीसी ने ग्रामीणों और गांव की पंचायत को विश्वास दिलाते हुए कहा कि स्कूल के संचालन में प्रशासनिक सहयोग की कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी।
एडीसी ने कहा कि फतेहाबाद ही नहीं हरियाणा में इस तरह की पहल को शिक्षा विभाग और शिक्षाविद एक रोल मॉडल की तरह देख रहे हैं और आज कार्यक्रम में भी आसपास के गांवों की करीब 12 पंचायतों ने प्रतिनिधियों ने भी अपने यहां सरकारी स्कूलों में ही बच्चे पढ़ाने का निर्णय लेने पर काम शुरू करने की बात कही है। एडीसी ने कहा कि आज प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना गरीब और मध्यमवर्ग के परिवारों के लिए सपने जैसा हो गया है और यहां तक कि प्राइवेट स्कूलों में गुणात्मक शिक्षा का अभाव है।
सरकारी स्कूलों में थोड़ी से केयर और विश्वास जताने से यहां बच्चों को बेहतर गुणात्मक शिक्षा हासिल हो सकती है क्योंकि सरकारी स्कूलों में स्टाफ हाई क्वालीफाइल होता है। स्कूल में पहले सिर्फ 46 बच्चे थे और अब सभी ग्रामीणों द्वारा अपने बच्चों का दाखिला आज गांव के सरकारी स्कूल में करवा दिया गया है जिससे बच्चों की संख्या यहां करीब सवा तीन सौ हो गई है। प्रशासन ने भी उन्हेें पूरे सहयोग का भरोसा दिया है। सरकारी स्कूल में प्राइवेट की तर्ज पर पंचायत ने 6 अध्यापक नये नियुक्त किए हैं जिससे उन्हें उम्मीद है कि गांव में बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से बेहतर शिक्षा मिलेगी।