चंडीगढ़,
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को अंतरिम राहत देते हुए तहसीलदार से एचसीएस के पद पर मनोनयन में नायब तहसीलदार के पद के अनुभव पर भी सरकार को विचार करने को कहा है। हाई कोर्ट ने सरकार को नायब तहसीलदार से तहसीलदार बने उम्मीदवारों का साक्षात्कार लेने की छूट दे दी है। इसी के साथ हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह सब इस याचिका के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा।
हाई कोर्ट ने यह आदेश अलग अलग कई याचिका जिसमें तहसीलदार से एचसीएस के पद पर मनोनयन के कई नियम को चुनौती दी गई थी, उन पर सुनवाई करते हुए जारी किया। इससे पहले हाई कोर्ट ने 26 अप्रैल 2017 को सरकार द्वारा मनोनयन करने की प्रक्रिया पर रोक के आदेश जारी कर दिए थे।
इस मामले को लेकर दायर याचिका में प्रदेश सरकार द्वारा 16 फरवरी को जारी उस अधिसूचना को रद करने की मांग की है, जिसके तहत जिला राजस्व अधिकारी और तहसीलदार कोटे से एचसीएस मनोनित करने के लिए आठ साल के अनुभव को तय करने के लिए नायब तहसीलदार के पद पर किए गए काम को भी अनुभव में शामिल किए जाने की स्वीकृति दी गई हैं।
याचिकाकर्ता ने याचिका में बताया है कि रजिस्ट्रर एक में सिर्फ जिला राजस्व अधिकारी और तहसीलदार कोटे से उन अधिकारियों को ही एचसीएस पद पर मनोनित किया जा सकता है जिनको इन पदों पर आठ वर्ष का अनुभव हो। लेकिन सरकार ने नीति में संशोधन कर अब नायब तहसीलदार के पद पर किए गए अनुभव को भी इसमें जोड़ दिया है तय प्रावधानों का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया है कि नायब तहसीलदार जिला राजस्व अधिकारी और तहसीलदार से छोटा होता है और उनके अधीन काम करता हैं। इसलिए सरकार ने जो अधिसूचना जारी की है वो सही नहीं हैं। इसी के साथ ही सरकार द्वारा 12 अप्रैल को जारी उस लिस्ट पर भी रोक लगाने की मांग की गई थी जिसके तहत सरकार ने नौ अधिकारियों को एचसीएस के पद पर मनोनित कर दिया