हिसार

देश की खराब अर्थव्यवस्था व्यापारी व उद्योगपति के माध्यम से ही ठीक होना संभव : गर्ग

हिसार
अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव व हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने केंद्रीय वित्त मंत्री के उस बयान को हास्यास्पद बताया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर है। आर्थिक विकास की दर धीमी जरूर है, मगर यह मंदी नहीं हैं।
एक बयान में बजरंग दास गर्ग ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिका संगठन ने वित्तीय वर्ष 201़9-20 की दूसरी तिमारी अर्थात जुलाई सितंबर के संकल घरेलू उत्पाद अर्थात जीडीपी के आंकड़े जारी करके बताया कि अधिकारिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत घोषित की गई, मगर हकीकत में जीडीपी 4.5 प्रतिशत से भी कम है। भारत के आर्थिक विकास की रफ्तार 2013 के बाद सबसे धीमी हो गई है। पहले 18 महीनें के दौरान देश की विकास दर लगातार गिरती जा रही है। बजरंग गर्ग ने कहा कि अन्य आंकड़ों के मुताबिक देश में मंदी के साये में आ चुकी हैं। वर्ष के 8 महीने पहले वित्तीय घाटा पूरे साल के लक्ष्य से भी अधिक हो चुका है। जबकि 4 महिने अभी बाकी है। कर वसूली लक्ष्य से लगभग 2 लाख करोड़ रूपए पीछे हैं। बिजली, सीमेंट, कोयला इस्पात, कच्चा तेल, प्रकृतिक गैस, तेल शोधन जैसे 8 प्रकार के उद्योग के उत्पाद में अप्रैल से अब तक भारी गिरावट आई हैं। सिर्फ रसायनिक खाद ही जिसका उत्पाद नहीं गिरा हैं। यहां तक कि उद्योगों में बिजली की खपत में भारी गिरावट आने से अर्थव्यवस्था की गति मंद पडऩे की गवाही दे रही हैं। रेलवे, वायु दोनों के जरिए माल दुलाई में कमी आई हैं। निर्माण क्षेत्र में भारी गिरावट आई है।
राष्ट्रीय महासचिव बजरंग गर्ग ने कहा कि इसलिए सरकार को व्यापार व उद्योग को बढ़ावा देने की जरूरत हैं, जिस पर सरकार काम नहीं कर रही जिसके कारण देश की अर्थव्यवस्था खराब होती जा रही हैं। यदि देश को आर्थिक मंदी से उभारना है तो सरकार को अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग जैसे उद्योग व व्यापार के अंदर डर का माहौल को समाप्त करना होगा, भ्रष्ट अधिकारियों पर अंकुश लगाना होगा और व्यापारी व उद्योगपति के उत्पीडऩ को समाप्त करना होगा। सरकार को यह भी स्वीकार करना होगा कि राष्ट्र की सीमा की सुरक्षा की तरह राष्ट्र की अर्थव्यवस्था की सुरक्षा भी अत्यंत आवश्यक है और अर्थव्यवस्था की सुरक्षा में व्यापार व उद्योग क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है, क्यंोंकि 90 प्रतिशत रोजगार व्यापारिक गतिविधियों से ही उत्पन्न होता है अगर रोजगार बढ़ेगा तो देश में सुस्त पड़ा बाजार दौडऩे लगेगा और भारत पुन: एक मजबूर अर्थव्यवस्था वाला राष्ट्र होगा।

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