हिसार
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गुणवत्तापूर्ण बीज की मांग लगातार किसानों व कम्पनियों में दिनो दिन बढ़ती जा रही है। इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए आन्ध्र प्रदेश की एक बीज कंपनी श्री लक्ष्मी वेंकटेश्वर बीज के साथ अनुबंध किया है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.पी. सिंह की उपस्थिति में इस अनुबंध पर हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक (कार्यकारी), डॉ. आर.के. झोरड़ जबकि उपरोक्त बीज कंपनी से श्री पी. शंकरप्पा ने हस्ताक्षर किये।
कुलपति, प्रो. के.पी. सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय हमेशा प्रयासरत रहता है कि अधिक उपज वाली व बढिया किस्मों को विकसित कर किसानों तक पहुचा सकें। उपरोक्त बीज कंपनी को बाजरा के संकरों एचएचबी 299 और एचएचबी 311 का बीज तैयार करके उसकी मार्केटिंग करने हेतु चार वर्ष के लिए गैर एकाधिकार (नॉन एक्सक्लूसिव) लाइसेंस दिया गया है। इन किस्मों में आयरन की मात्रा 30-40 प्रतिशत से ज्यादा है तथा ये डाऊनी मिल्ड्यू रोग के प्रति रोधक हैं। बाजरे की इन किस्मों में आयरन की अधिक मात्रा के कारण इसे खाने से एनीमिया रोग से बचाव होता है। ये किस्में बायोफोर्टिफाइड (उच्च लोहा और जस्ता) है जिसमें उच्च अनाज और सूखे चारे की उपज की क्षमता दोनों अधिक है।
इस अनुबंध में विश्वविद्यालय की ओर से इस बीज कंपनी को विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किए गए बाजरा के संकरों एचएचबी 299 और एचएचबी 311 का बीज उत्पादन व उसकी मार्केटिंग करने का लाइसेंस प्रदान किया गया है। इसके तहत कम्पनी विश्वविद्यालय को चार लाख रूपये लाइसेंस फीस देगी। बाजरा के संकरों एचएचबी 299 और एचएचबी 311 को राष्ट्रीय स्तर पर खेती के लिए पहचान के लिए राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब और दिल्ली (जोन ए) तथा खरीफ सीजन के लिए महाराष्ट्र और तमिलनाडु (जोन बी) प्रस्तावित किया गया है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. बीआर कम्बोज, अनुसंधान निदेशक, डॉ. एसके सेहरावत, एचओएस, डॉ. एस.के. पहूजा, प्रभारी आईपीआर सेल, डॉ. विनोद सांगवान उपस्थित थे।