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शिक्षा नीति 2019 पर दोबार विचार करे सरकारः एसोसिएशन

दिल्ली,
केन्द्र सरकार की नई शिक्षा निति 2019 का प्रारूप बड़ी मछलियों को जिन्दा रखकर छोटी मछलियों को मारने वाला साबित होगा। भारत में 20500 अध्यापक शिक्षा के काॅलेज हैं जिसमें से 1900 अर्थात् 93 प्रतिशत भाग प्राइवेट काॅलेजों का है। प्राईवेट काॅलेजों ने 20 से 40 करोड़ का इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रत्येक काॅलेज ने तैयार किया है। अर्थात् औसतन 30 करोड़ गुणा 1900 काॅलेज करें तो इन काॅलेजों ने लगभग 57000 करोड़ रूपये का इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया हुआ है। नई शिक्षा नीति 2030 तक इन काॅलेजों को बन्द करने का प्रारूप दे रही है। नई शिक्षा नीति के अनुसार 2030 के बाद केवल 4 वर्षीय आईटीईपी कोर्स ही चलेगा। तथा 2 वर्षीय कोर्स तथा 1 वर्षीय कोर्स भी इन्हीं आईटीपी काॅलेजों को ही दिए जायंेगे। दूसरी तरफ राष्ट्रीय अध्यापक परिषद्, नई दिल्ली के आदेशानुसार बीएड अथवा डीएलएड काॅलेज आईटीईपी कोर्स में प्रार्थना पत्र ही नहीं डाल सकते हैं, ये बड़ी विचित्र परिस्थिति है। अब इस 57000 करोड़ के इन्फ्रास्ट्रक्चर का 2030 के बाद क्या होगा। ये बात एसोसिएशन आफ एनसीटीई अप्रूवड काॅलेजेस ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. एस.वी. आर्य और हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष डा. सी.पी. गुप्ता ने आन्ध्रा एसोसिएशन आॅडिटोरियम मंे पत्रकारों से बात करते हुए कही। यहां एसोसिएशन आफ एनसीटीई अप्रूवड काॅलेजेस ट्रस्ट के राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसमें देशभर से आये काॅलेज संचालकों ने भाग लिया और सरकार की शिक्षा नीतियों पर चर्चा की। सबने मिलकर एक राय में सरकार से मांग की कि सरकार शिक्षा नीति 2019 पर पुनः विचार करें। अगर सरकार ऐसा नहीं करेगी तो आने वाले कुछ सालों में न सिर्फ हजारों करोड़ रुपये बर्बाद हो जायेंगे बल्कि लाखों लोग बेरोजगार भी हो जायेंगे।
डा. आर्य के अनुसार उनका दूसरा मुद्दा अध्यापकों के लिए पीएचडी व नैट की अनिवार्यता है। आज देश में शिक्षा शास्त्र विषयों पर केवल 42000 ही नेट परीक्षा पास व्यक्ति हैं, जो एमएड/एमएड एजुकेशन के साथ किसी एक शिक्षा शास्त्र विषय में स्नात्कोत्तर हैं। मगर 20500 एजुकेशन काॅलेजों को 32 प्रति काॅलेज के हिसाब से 656000 नैट/पी0एच0डी0 प्राध्यापक चाहिए। जबकि एक काॅलेज के लिए 2 ही अध्यापक उपलब्ध हैं। अतः राष्ट्रीय अध्यापक परिषद् के तुरन्त प्रभाव से पी0एच0डी0/ नैट की अनिवार्यता समाप्त करनी होगी तभी इन काॅलेजों को (20500) को बचाया जा सकता है।

डा. सी.पी. गुप्ता के अनुसार AICTE/ UGC दि सभी संस्थाये अध्यापक: विद्यार्थी अनुपात 1ः25 मांगती है। NCTE स्वयं B.A., B.Sc., B.Ed. तथा course में 1ः25 का अनुपात मांगती है फिर B.Ed. एवं D.El.Ed. में 1ः12.5 का अनुपात तथा M.Ed. में 1ः10 का अनुपात क्यों लागू किया गया है। NCTE Regulation 2014 में कुल भवन क्षेत्रफल भी मांगा जाता है तथा सभी लैब, कक्षायें, हाॅल भी मांगा जाता है जो उसके अनुपात में बिल्कुल ही अवैज्ञानिक है। सरकार को इसे ठीक करना चाहिए। वहीं ENDOWNMENT FUND पहले 8 लाख था जो कि अब 12 लाख कर दिया गया है। साथ में 50 प्रतिशत ब्याज FD का NCTE हर साल हड़पना चाहती है, जो कि गलत है। उन्होंने कहा कि सारे भारत में एक ही पाठ्यक्रम तथा आवश्यकतानुसार विद्यार्थियों से ली जाने वाली फीस एक ही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सारे देश में 14 लाख नये अध्यापकों की आवश्यकता है जबकि तैयार हो रहे हैं 4 लाख क्योंकि प्रवेश के समय विद्यार्थी से स्नातक में 50 प्रतिशत न्यूनतम अंक मांगे जाते हैं जबकि IAS में भी न्यूनतम योग्यता स्नातक पास है। ऐसे में शिक्षकों की योग्यता में इतना भेदभाव क्यों हो रहा है। इस प्रकार सीट खाली रहने से इन्फ्रास्ट्रक्चर वेस्ट हो रहा है। उनकी मांग है कि न्यूनतम योग्यता स्नातक पास लेनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि शैक्षणिक स्टाफ को सैल्फ फाईनेंस काॅलेजों में NCTE Regulation Qualification के अनुसार काॅलेजों द्वारा नियुक्त कमेटी द्वारा चयनित किया जाना चाहिए अतः Affiliating Body द्वारा Approval की अनिवार्यता समाप्त होनी चाहिए।
इस राष्ट्रीय स्तरीय सम्मेलन में पूरे देश के 20 राज्यों के 500 प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा MHRD/NCTE से उपरोक्त मांगों के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया। तथा मांग की के MHRD/NCTE शिक्षा शास्त्र काॅलेजों को भी AICTE के तर्ज पर प्राध्यापक उत्थान आदि पर अनुदान उपलब्ध करायें। इस मौके पर एसोसिएशन के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा. राजेन्द्र रस्तोगी, राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष एडवोकेट रोशनलाल गुप्ता, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. ए.आर. खान, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विक्रम सिंह, राष्ट्रीय सचिव सुभाष गुर्जर, राष्ट्रीय सचिव प्रवीन छिल्लर, हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष सूरजकांत, झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण कुमार केजरीवाल, कर्नाटका प्रेसिडेंट अकील अहमद एमजी, मध्यप्रदेश प्रेसिडेंट डा. योगेन्द्र एस यादव महाराष्ट्रा प्रेसिडेंट सुदर्शन कदम, राजस्थान प्रेसिडेंट संदीप धत्तरवाल, उत्तर प्रदेश प्रेसिडेंट अंकित गर्ग, उत्तराखंड प्रेसिडेंट डा. वीके शर्मा, अरुनाचल प्रदेश प्रेसिडेंट अदंग तयांग सहित अन्य पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित रहे।

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Jeewan Aadhar Editor Desk