हिसार,
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी को मनाया जाएगा। इस साल पडऩे वाली महाशिवरात्रि कई मायनों में खास रहने वाली है। इस शिव रात्रि पर 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग बन रहा है। इससे पहले 1903 में इन ग्रहों का ऐसा संयोग बना था। माना जाता है कि इस दिन शिव भक्ति करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। शास्त्रों के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था इसलिए इस दिन उनके विवाह का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही, शर्करा से भगवान शिव का अभिषेक करने से मनवांछित इच्छा पूरी होती है।
महाशिवरात्रि की पूजा का यह है शुभ मुहूर्त
कैलाश पंचांग के सम्पादक पं. देव शर्मा के अनुसार महाशिवरात्रि 21 फरवरी 2020 को शाम को 5 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 22 फरवरी दिन शनिवार को शाम 07 बजकर 03 मिनट तक रहेगी। जो श्रद्धालु मासिक शिवरात्रि का व्रत करना चाहते है, वह इस महाशिवरात्रि से शुरू कर सकते हैं।
व्रत कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक आदमी जो शिव का परम भक्त था, एक बार जंगल गया, और खो गया। बहुत रात हो चुकी थी इसीलिए उसे घर जाने का रास्ता नहीं मिल रहा था। क्योंकि वह जंगल में काफी अंदर चला गया था इसलिए जानवरों के डर से वह एक पेड़ पर चढ़ गया लेकिन उसे डर था कि अगर वह सो गया तो वह पेड़ से गिर जाएगा और जानवर उसे खा जाएंगे। इसलिए जागते रहने के लिए वह रात भर शिवजी नाम लेके पत्तियां तोड़ के गिराता रहा। जब सुबह हुई तो उसने देखा कि उसने रात में हजार पत्तियां तोड़ कर शिवलिंग पर गिराई हैं, और जिस पेड़ की पत्तियां वह तोड़ रहा था, वह बेल का पेड़ था। अनजाने में वह रात भर शिव की पूजा कर रहा था जिससे खुश हो कर शिव ने उसे आशीर्वाद दिया।
इस दिन अधिक से अधिक दान-पुण्य करें
नगर के ज्योतिर्विद पंडित देव शर्मा ने बताया महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक दान पुण्य करना चाहिए। साधु-संतों, ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन कराकर वस्त्र दान कर गायों को हरा चारा खिलाना चाहिए। पक्षियों को दाना डालें। पीपल को जल चढ़ाएं, जिससे विशेष लाभ मिलता है।
– पंडित देव शर्मा
(ज्योतिर्विद् एवं आध्यात्मिक वक्ता)
मुख्य संपादक, कैलाश पंचांग एवं
श्री जगन्नाथ शुद्ध कालदर्शक पंचांग
मो. 9813112340