बस्ती बसने के जिम्मेवार अधिकारियों की भूमिका की जांच करके कार्रवाही करे सरकार
हिसार।
हिसार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एवं विधानसभा चुनाव में जजपा प्रत्याशी रहे जितेन्द्र श्योराण ने नगर निगम प्रशासन द्वारा सिविल अस्पताल के पीछे स्थित अंबेडकर बस्ती के लोगों को नोटिस देकर बस्ती खाली करवाने के प्रयासों को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि नगर निगम प्रशासन बस्ती अवैध जगह बसी होने का हवाला देकर ऐसे नोटिस जारी कर रहा है परंतु जिस समय बस्ती बसनी शुरू हुई थी, उस समय के अधिकारियों की भूमिका क्या रही, इसकी जांच होनी चाहिए।
एक बयान में जितेन्द्र श्योराण ने कहा कि अंबेडकर बस्ती काफी समय से बसी हुई है। अब एकाएक नगर निगम प्रशासन ने बस्ती खाली करवाने के नोटिस निकालने शुरू किये हैं, जो गलत है। उन्होंने कहा कि बस्ती लंबे समय से बसी हुई है और विभिन्न विभागों ने यहां पर पक्की सड़कें, बिजली, पानी व सड़क जैसी सुविधाएं भी दे रखी है। ऐसे में क्या इन विभागों ने कभी ध्यान नहीं दिया कि वे अवैध जगह पर ये सुविधाएं क्यों दे रहे हैं। नगर निगम भी पिछले कई वर्षों से यहां के लोगों से गृहकर ले रहा है। उन्होंने कहा कि कालोनी के पास संविधान निर्माता डा. बीआर अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण तत्कालीन सांसद जयप्रकाश ने किया हुआ है जबकि यहां के प्राथमिक स्कूल का शुभारंभ तत्कालीन मंत्री एवं हिसार की विधायक रही श्रीमती सावित्री जिंदल ने किया था। उन्होंने कहा कि वर्षों से बसी अंबेडकर बस्ती के लोगों नेे यहां के पहचान पत्र भी बनवा रखे हैं। ऐसे में उन्हें नोटिस दिया जाना गलत है। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार सबको मकान देने का जोर-शोर से ऐलान कर रही है वहीं दूसरी तरफ बसी-बसाई बस्ती को खाली करवाने के नोटिस जारी कर रही है। यही नहीं, बस्ती वाले भी कलेेक्टर रेट पर अपने मकानों की रजिस्ट्री करवाने को तैयार है। उन्होंने कहा कि हिसार संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल ने आज बस्ती में जाकर प्रभावित लोगों से बातचीत की है और समिति इन लोगों के साथ हैं।
जितेन्द्र श्योराण ने कहा कि जिस समय यह बस्ती बसनी शुरू हुई थी, उस समय नगर परिषद व प्रशासनिक अधिकारियों ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। क्या उन अधिकारियों को पता नहीं था कि सरकारी जमीन पर कोई बस्ती बस रही है, ऐसेे में उन अधिकारियों की क्या भूमिका रही, उन्होंने यह बस्ती पनपने से रोका क्यों नहीं और सबसे बड़ी बात यदि बस्ती अवैध है तो विभागों ने यहां पर बिजली, पानी व सड़कों की सुविधा किस आधार पर दी, इन लोगों के पहचान पत्र किस आधार पर बनाए गए। जितेन्द्र श्योराण ने कहा कि अवैध बस्ती के लिए अकेले कालोनीवासी ही जिम्मेवार नहीं है, उस समय के अधिकारी भी जिम्मेवार है। ऐसे में उस समय के अधिकारियों की भूमिका की जांच करवाकर उन पर भी कार्रवाही की जानी चाहिए।
इस दौरान उनके साथ मनविन्द्र सेठी, गौरव सैनी, राजेश भुंबक, विकास शर्मा के अलावा बस्ती निवासी रघुबीर प्रधान, रामकुमार, जसपाल प्रधान, अजय व सुलतान सहित अन्य भी थे।