यदि हमने नमस्कार व हवन जैसी भारतीय परंपराओं को भूला नहीं होता तो आज मुंह पर मास्क लगाने की जरूरत नहीं पड़ती : ओमानंद महाराज
हिसार,
कैमरी रोड स्थित ज्ञानदीप सेवार्थ आश्रम में श्रीश्री 1008 ब्रह्मलीन गुरु महाराज ओमानंद महाराज के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में होने वाले सभी धार्मिक व सामाजिक कार्यों को कोरोना वायरस की वजह से स्थगित कर दिया है। आश्रम प्रांगण में आश्रम के संचालक व गद्दीनशीन महंत राजेश्वरानंद महाराज के सानिध्य में विश्व शांति हेतु हवन यज्ञ किया गया जिसमें उपस्थित श्रद्धालुओं ने आहुति डाली। इस मौके पर महंत राजेश्वरानंद महाराज ने फरमाया कि आज हमें हर घर में हवन यज्ञ करने की जरूरत है क्योंकि क्योंकि हवन यज्ञ से उत्पन्न धुआं व सुगंध बहुत लाभकारी होती है। इसके साथ-साथ यह वातवरण में फैले विषैले किटाणुओं व नकारात्मक वायरसों को भी नष्ट करता है।
महंत राजेश्वरा नंद ने फरमाया कि यदि हम देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए हवन करेंगे तो यह सबसे उत्तम पूजा विधि मानी जाएगी। हवन की पवित्र अग्नि के माध्यम से हम प्रभु के लिए अपनी सेवा उन तक पहुंचाते है। स्वास्थ्य के नजरिये से यज्ञ की पवित्र अग्नि के धुएं से वातावरण के कीटाणु और हानिकारक जीव नष्ट होते हैं जिससे शुद्धिकरण होता है। हवन में हव्य जैसे फल, शहद, घी, काष्ठ इत्यादि मिलकर वायुमण्डल को स्वास्थ्यकर बनाते हैं। अत: यह वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्व रखता है। हवन करने वाले और आस-पास के व्यक्ति के शरीर को हवन का पवित्र धुआं शुद्ध करता है।
राजेश्वरानंद महाराज ने फरमाया कि प्राचीन काल में हमारे घर-घर में यज्ञ करने की परंपरा होती थी जिससे सभी लोग स्वस्थ रहते थे और हमारा वातवरण स्वच्छ रहता था। वहीं नमस्कार व घर में हाथ-पैर धोकर आने की परंपरा भी प्राचीन समय से हमारे देश में है। यदि हमने इस परंपरा को छोड़ा नहीं होता तो आज हमें मुंह पर मास्क लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि हमें कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि इससे बचाव व सावधानी की जरूरत है। वहीं हमें सजग होकर अपने घरों हवन-यज्ञ करना चाहिए इसके अलावा तुलसी का सेवन भी अधिक से अधिक करना चाहिए जिससे जागरुक होकर इस बीमारी से बचा जा सकता है। सभी श्रद्धालुओं ने हवन में विधिवत आहुति डाली व गुरु महाराज की पावन आरती के उपरांत उपस्थित श्रद्धालुओं के केक काटा व प्रसाद ग्रहण किया।
इस मौके पर दलबीरानंद महाराज, सदानंद महाराज, दिव्यानंद महाराज, प्रदीप तिलकधारी, सूर्यानंद महाराज, राजबीर जांगड़ा, मनोज लांधड़ी, अजीत वर्मा, कर्मबीर, प्रवीण, राजेंद्र ढाणा, राकेश पिलानी, वैद्य छोटू राम, जयभगवान, पिंकी, सरोज, सुशीला, सुमन, पतासो, नीलम, अनिल कुमार, कुसुम, इन्द्र सिंह नैन के अलावा काफी सेवादान मौजूद रहे।