हिसार

किसान नेताओं ने गांवों में किए दौरे-चौथाई हिस्सा भी फसल नहीं बिकी

सरकार ने जले पर नमक छिडक़ने का काम किया : किसान सभा

किसानों व मजदूरों को फरवरी मास से 7500 रुपए महीना सहायता देने की मांग

हिसार,
अखिल भारतीय किसान सभा का एक प्रतिनिधिमण्डल जिला प्रधान शमशेर नम्बरदार व सूबेसिंह बूरा की अध्यक्षता में हिसार जिले के विभिन्न गांवों में सरसों व गेहूं की सरकारी खरीद की जानकारी लेने के लिए पिछले 4-5 दिनों से दौरे पर थे। लगभग सभी गांवों की एक चौथाई सरसों व गेहूं अभी तक नहीं खरीदी गई है। यह रिपोर्ट केवल उन किसानों की है, जिन्होंने मेरी फसल मेरा ब्योरा में रजिस्ट्रेशन करवाया है। बहुत से किसान रजिस्ट्रेशन भी नहीं करवा पाये हैं। एक दिन में एक गांव के 25 किसानों को सरसों बिक्री के लिए बुलाया जाता है तथा एक दिन में चार गांवों का नाम आता है। इस तरह सभी गांवों का नाम आने में तो छह से सात महीने लग जाएंगे।
किसान सभा के जिला सचिव धर्मबीर कंवारी ने बताया कि कंवारी गांव के 250 किसानों की सरसों की बिक्री हुई है। गांव का एक हफ्ते से नाम नहीं आ रहा है, तीन चौथाई सरसों बिक्री के लिए गांव में पड़ी हैं। गांव बालावास व नलवा का एक बार भी नाम नहीं आया है। ऐसे बहुत से गांव हैं जिनका नाम अभी तक नहीं आया है। ऊपर से कपास बिजाई का समय चल रहा है। किसानों के हाथ में बीज व जुताई के पैसे भी नहीं है। जिन किसानों की सरसों बिक्री हुई है उनके पैसे नहीं आए है। जिसके पैसे आ गए, उनको बैंक पैसे नहीं दे रहे हैं। पैन कार्ड मांग रहे हैं, अभी पैन कार्ड बनवाने में 15-20 दिन लग जाएंगे। तब तक कपास बिजाई का वक्त निकल जाएगा। मजबूरी में किसानों को अपनी सरसों आढ़तियों के हाथ 3700-3800/रुपए क्विंटल में लूटवानी पड़ेगी व हर क्विंटल पर 600-700/रुपए का घाटा सहना पड़ेगा। गेहंू पर भी 200/रुपए घाटा लग रहा है। लाकडाउन ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है, ऊपर से सरकार ने डीजल, पेट्रोल, बस किराया, फल, सब्जी व अन्य जरुरत की वस्तुओं के भाव बढ़ाकर जले पर नमक छिडक़ने का काम किया है।
जिला सचिव धर्मबीर कंवारी ने बताया कि किसानों को फूटी कोड़ी की भी राहत नहीं दी तथा देश के रुपये लूटने वाले लूटेरों के कर्ज बट्टे खाते डाले जा रहे हैं। बड़े व्यापारी घरानों पर सम्पत्ति कर लगाने की बजाए गरीब जनता को ही नींबू की तरह निचोड़ा जा रहा है। सरकार की नीति घोर किसान विरोधी है। लाकडाउन खुलते ही किसान सभा अपनी मांगों को लेकर आन्दोलन करेगी। इस संकट की घड़ी में सरकार को किसानों व मजदूरों को फरवरी मास से कम से कम 7500/रुपए हर महीने सहायता राशि देना चाहिए ताकि उनका भी घर संसार चल सके। सरकार को तुरंत हर गांव से 100 किसानों को रोज बुलाकर फसल खरीद करके हाथों हाथ पैसा देना चाहिए। प्रतिनिधिमंडल में रमेश मीरकां, रामानंद गुंजार, जगदीश बागडिय़ा, बारु मुकलान, वजीर व राजकुमार ठोलेदार ने भाग लिया।

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