हिसार,
सर्व कर्मचारी संघ से संबंधित हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ की राज्य कमेटी के निर्णय अनुसार स्वास्थ्य विभाग और हरियाणा सरकार के दिशा निर्देशों की पूर्णतया पालन करते हुए वीरवार को संघ के जिला प्रधान सुरेंद्र सैनी, जिला सचिव पवन कुमार, राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष जयबीर सिंह, राज्य उप महासचिव प्रभु सिंह और राज्य उपप्रधान धर्मेन्द्र ढांडा ने स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव महावीर प्रसाद के नाम जिला शिक्षा अधिकारी हिसार को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन सौंपने के बाद संघ के राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष जयबीर सिंह ने बताया कि कोविड-19 महामारी और लंबे लॉकडाउन के चलते हरियाणा के 70-80 हजार अध्यापक पिछले 45 दिनों से तन-मन-धन से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, परंतु राज्य सरकार व विभाग अध्यापकों की सहनशीलता व महामारी की आड़ का दुरुपयोग कर रही है, जो खेद का विषय है। उन्होंने बताया कि बार-बार प्रदेश के शिक्षा मंत्री व विभाग के उच्च अधिकारियों से आग्रह करने के बावजूद अध्यापकों को सुरक्षा संबंधी उपकरण जैसे कि पीपीई किट, मास्क, सैनेटाइजर व दस्ताने आदि उपलब्ध नहीं करवाए जा रहे हैं, जिससे अध्यापकों का अपना जीवन ही असुरक्षित हो गया है।
राज्य वरिष्ठ उपप्रधान ने बताया कि एक ही अध्यापक की एक ही समय में कई-कई प्रकार की डयूटियां लगा रखी है। अध्यापकों के जिम्मे में वो काम भी लगा रखे हैं जिनका उनसे कोई वास्ता नहीं है और वह तकनीकी रूप से भी सक्षम नहीं हैं। चाहे अनाज मंडी में अनाज खरीदने की ड्यूटी हो अथवा ऑनलाइन परिवार पहचान पत्र बनाने हो। किसी भी ड्यूटी के लिए सहयोगी व्यक्ति, सामग्री एवं तकनीकी सहायता उपलब्ध नहीं करवाई गई है।
राज्य उप महासचिव प्रभु सिंह ने भी बताया कि अनेक अध्यापकों का कार्यस्थल एवं निवास स्थान अलग-अलग जिलों में है। ऐसे अनेक अध्यापक हैं जिनके निवास स्थान फतेहाबाद, हिसार, भिवानी ,चरखी दादरी, रोहतक आदि में है और उनकी नौकरी गुरुग्राम, नूंह, पलवल, फरीदाबाद में है। संगठन के आवेदन पर ऐसे आदेश भी जारी हो चुके हैं कि जिन अध्यापकों का निवास स्थान दूसरे जिलों में है, उनकी ड्यूटी ना लगाई जाए। फिर भी नूहँ,फरीदाबाद, पलवल गुडगांव का प्रशासन ना केवल डयूटियां लगा रहा है बल्कि अनुचित दबाव भी बनाया जा रहा है। ऐसे दबाव में एक अध्यापक की मौत भी हो चुकी है। नूंह प्रशासन ने अनेक अध्यापकों पर एफआईआर दर्ज करवा दी है। इससे पहले यमुनानगर में एक अध्यापक की सेवाएं ही समाप्त कर दी गई। उन्होंने कहा कि यह शायद अध्यापकों की ईमानदारी से सेवा करने का ईनाम है। उन्होंने कहा कि संगठन ने ज्ञापन के माध्यम से मांग की है कि उपरोक्त सभी समस्याओं का उचित समाधान किया जाए व उत्पीडऩ की कार्यवाही वापस ली जाए।
राज्य उपप्रधान धर्मेन्द्र ढांडा ने भी बताया कि आज के ज्ञापन का दूसरा प्रमुख मुद्दा कोविड-19 की आड़ में अध्यापकों पर किए जा रहे हैं आर्थिक हमलों का विरोध भी है। जब अध्यापक स्वयं स्वेच्छा से सरकार व प्रशासन को आर्थिक सहयोग कर रहे हैं, तो जबरन अतिरिक्त महंगाई भत्तों की आगामी 18 मार्च तक की क़िस्तों को रोकना, एलटीसी व अन्य कटौतियां करने का क्या औचित्य रह जाता है। उन्होंने कहा कि भर्तियों पर रोक भी किसी भी दृष्टि से न्यायोचित नहीं है। संगठन का मानना है कि आगामी 18 मार्च तक की महंगाई भत्ते की किस्त को रोकने का क्या औचित्य है। सरकार कम से कम यह तो सुनिश्चित करें कि जो भी राशि एक बार रोकी जाएगी उसका भुगतान स्थिति सामान्य होने पर कर दिया जाएगा। जिला प्रधान सुरेंद्र सैनी व जिला सचिव पवन कुमार ने कहा कि यदि उपरोक्त मुद्दों पर सरकार ने समय रहते उचित निर्णय नहीं लिया तो हरियाणा का कर्मचारी चुप नहीं बैठेगा। उन्होंने कहा कि अध्यापक संघ व अन्य कर्मचारी संगठन आगामी रणनीति बनाकर आंदोलन करने को बाध्य होंगे जिसकी जिम्मेदारी सरकार व प्रशासन की होगी।