हिसार

छोड दी 300 वर्ष पुरानी परंपरा, वृद्धा का किया दाह संस्कार

उकलाना मंडी (ईश्वर धर्रा),
गांव बिठमड़ा में अनुसूचित जाति से संबंधित डूम जाति की एक 80 वर्षीय फूली देवी का इनके परिवार ने निधन होने पर साढे 300 वर्ष से चली आ रही पार्थिव शरीर केदफनाने की अंतिम संस्कार की परंपरा को तिलांजलि देकर आज दाह पद्धति से संस्कार कर इस भ्रम को तोड़ने का काम कर दिया कि गांव के डूम मुस्लिम समुदाय के है।
बिठमड़ा के 30 परिवार डूम बिरादरी के हैं अब तक इस परिवार में मृतकों को कब्रिस्तान में दफनाया जाता था परंतु फूली देवी की मृत्यु उपरांत परिवार के युवाओं ने वर्तमान परिस्थितियों पर गौर करते हुए शव का अग्नि से अंतिम संस्कार करने पर सहमति बनाई और मृतका का गांव की शेरावत पती के स्वर्ग आश्रम में दाह संस्कार कर दिया। गांव के लोगों ने भी इस डूम परिवार द्वारा मृतक की अंतिम संस्कार की पद्धति में परिवर्तन करने का स्वागत किया है।
आज दोपहर प्रशासन व मीडिया गांव में पहुंचा तो परिजनों ने उनके सामने इस भ्रम को दूर करने की अपील की कि वह मुस्लिम है मृतका की एक पुत्री मूर्ति देवी व तीन पुत्र प्रकाश सतबीर एवं धर्मवीर हैं मृतका के सुपुत्र प्रकाश ने बताया कि गांव में 30 परिवार डूम बिरादरी के हैं हमारे बुजुर्ग पुराने समय से मृतको का दफनाने की प्रक्रिया से अंतिम संस्कार करते आ रहे हैं।
यह सही है कि औरंगजेब काल में हमारे पूर्वज हिन्दू से मुस्लिम धर्म अपना गए थे परंतु आजादी के बाद से ही हमारा भाईचारा हिंदुओं से है हमारे समाज में हिंदू पद्धति (गंधर्व विवाह) से बच्चों का विवाह होता है हम निकाह नहीं करते और ना ही खतना करते हैं सिर्फ अंतिम संस्कार की पद्धति दफनाने की थी इसलिए ग्रामीण हमें मुस्लिम समझते थे परंतु 18 अप्रैल को हमारे परिवार में एक मौत दनौदा गांव जिला जीन्द में हुई थी वहां भी अंतिम संस्कार अग्नि प्रक्रिया से किया गया था और आज हमारी मां को भी हमने कब्रिस्तान में दफनाने की बजाय स्वर्ग आश्रम में अग्नीप्रथा से संस्कार कर परंपरा बदलने का काम किया है।
गांव के ही इसी परिवार के सदस्य मनजीत अहलावत ने बताया कि आज हमने इस भ्रम को तोड़ दिया है कि डूम परिवार मुस्लिम है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार के रिकार्ड में डूम अनुसूचित जाति में है और स्कूलों में भी हमारे बच्चे इसी जाति प्रमाण पत्र का प्रयोग करते हैं। फूली देवी के दास संस्कार में डूब विकास मंच जींद के प्रतिनिधि संदीप कुमार गोरछी ने भी भाग लिया और मुख्यमंत्री से मांग की कि सरकार प्रत्येक गांव में नए सिरे से डूम बिरादरी का सर्वे करवाएं और इस भ्रम को तोड़े कि हम मुस्लिम हैं। उन्होंने उतरी भारत के प्रसिद्ध सांगी धनपत राय का उदाहरण भी दिया।

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