हिसार (राजेश्वर बैनीवाल),
कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही जंग में जिम्मेदारी व सेवा भाव से कार्य करने वालों के अनेक उदाहरण हर रोज हमारे सामने आ रहे हैं। कोरोना को हराने के इस अभियान में आईटीआई की वो महिला अनुदेशक भी अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं जो सुबह से शाम तक मास्क बनाने में लगी हुई हैं। इनके ये मास्क कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए बड़े हथियार साबित हो रहे हैं।
दरअसल, कोरोना संक्रमण के शुरुआती चरण में ही आवश्यक वस्तुओं में शामिल मास्क की आपूर्ति की चेन जब लडख़ड़ाने लगी तो उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने जिला की राजकीय आईटीआई के प्राचार्यों को अपने यहां चल रही सिलाई, कढ़ाई व ड्रेस मेंकिंग के कोर्सिज की महिला अनुदेशकों को मास्क बनाने के कार्य में सहयोग का आह्वान किया और उन्हें प्रति अनुदेशक एक हजार मास्क बनाने का लक्ष्य दिया। उपायुक्त के आह्वान पर जिला भर की सरकारी आईटीआई में चल रहे इन कोर्सिज की सभी अनुदेशिकाओं ने पुरानी सब्जी मंडी के पास स्थित राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (महिला) परिसर में मास्क बनाने का कार्य शुरू किया।
यहां प्रतिदिन 15 से 20 महिला अनुदेशक सुबह से शाम तक मास्क का कपड़ा काटने, इलास्टिक व अन्य सामग्री की कटिंग से लेकर इनकी सिलाई व पैकिंग के कार्य में लगी हुई हैं। इनकी देखादेखी अन्य कोर्स की महिला अनुदेशक भी इनके साथ मास्क बनाने के कार्य में जुट गईं। एक बार कार्य शुरू किया तो लक्ष्य भी पूरा हो गया। लेकिन ये महिला अनुदेशक लक्ष्य पूरा कर बैठी नहीं बल्कि इन्हें इस कार्य में इतने संतोष का अनुभव हुआ कि ये ड्यूटी से बढक़र जिम्मेदारी व सेवा की भावना से सुबह से शाम तक इस कार्य में लगी रहती हैं।
आईटीआई की वर्ग अनुदेशक राजरानी व शिवानी शर्मा की देखरेख में मुकेश, बालादेवी, निर्मला, गीता, सुनीता, ज्योति, रामपति, सुदेश, अनिता, विंपी व संगीता शर्मा सहित अन्य महिला अनुदेशकों द्वारा तैयार मास्क की अलग-अलग सरकारी व निजी संस्थाओं में काफी मांग है। बैंकों व अन्य सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा आईटीआई से मास्क की बड़े पैमाने पर खरीद की जा रही है। कोई भी निजी संस्था व आमजन भी यहां से मास्क की खरीद कर सकता है।
आईटीआई के प्राचार्य जोगेंद्र सिंह ने बताया कि आईटीआई में केवल सफेद ही नहीं बल्कि रंग-बिरंगे, डिजाइनर व आकर्षक मास्क भी बनाए जा रहे हैं जिन्हें महिलाओं व बच्चों द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है। मास्क बनाने में अधिकांशत: सूती कपड़े का प्रयोग किया जा रहा है। यहां कपड़े की गुणवत्ता व मास्क की लेयर के आधार पर 10 रुपये से 30 रुपये की कीमत के उच्च क्वालिटी के मास्क उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि प्रशासन द्वारा आईटीआई में कपड़ा, इलास्टिक व अन्य सामग्री भिजवाकर उनकी कटिंग आदि का कार्य भी ऑर्डर पर करवाया जा रहा है। जिला प्रशासन व विभिन्न स्वयं सहायता समूहों को अब तक 35 हजार मास्क की कटिंग करके दी जा चुकी है। इसके अलावा प्रशासन को 3 हजार मास्क पैक करके दिए गए हैं। 1500 मास्क विभागों व संस्थाओं को बिक्री किए जा चुके हैं।
उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने सरकारी विभागों को आईटीआई की महिला अनुदेशकों द्वारा तैयार किए जा रहे मास्क की खरीद करने के लिए प्रेरित किया है। विभागों को कहा गया है कि वे कर्मचारियों के लिए जरूरत के अनुसार सरकारी आईटीआई में बनाए जा रहे मास्क की खरीद कर सकते हैं। यह खरीद पूरी तरह से सरकारी रहेगी। उन्होंने कहा कि मास्क जैसी आवश्यक वस्तुओं के निर्माण के लिए हम यदि किसी निजी कंपनी पर निर्भर रहने की बजाय सरकारी आईटीआई को मौका दें तो यह हमारा आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
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