फतेहाबाद

लॉकडाउन में बच्चे घर बैठे एजुसेट के माध्यम से ले रहे गुणवत्तापूर्वक शिक्षा

फतेहाबाद,
उपायुक्त डॉ नरहरि सिंह बांगड़ ने आज यहां बताया कि लॉकडाउन के चलते स्कूल बंद होने के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े, इसके लिए जिला में शिक्षा विभाग द्वारा उचित प्रबंध किए गए है। बच्चे घर बैठे एजुसेट के माध्यम से गुणवत्तापूर्वक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि लोकल नेटवर्क/सिटी केबल के माध्यम से शिक्षा संबंधि बेहतर जानकारियां उपलब्ध करवाई जा रही है, ताकि लॉकडाउन में भी बच्चे अपनी पढ़ाई को नियमित रूप से जारी रख सके।
उपायुक्त ने बताया कि जिला के कुल 853 स्कूलों में 1 लाख 69 हजार से अधिक बच्चे हैं, जिनमें से जिला में 228 प्राइवेट स्कूलों में 69 हजार के लगभग बच्चे तथा 625 सरकारी स्कूलों में 1 लाख से अधिक बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जिला स्तर पर प्रशासन व शिक्षा विभाग ने पूरा खाका तैयार कर घर बैठे ही टीवी के माध्यम से बच्चों को गत अप्रैल माह से शिक्षा उपलब्ध करवाई जा रही है। जिला में फास्ट-वे सर्विस प्रोवाइडर के द्वारा लोगों को केबल नेटवर्किंग सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। फास्ट वे सर्विस प्रोवाइडर ने चैनल नंबर 284 से 297 तक एजुसेट चैनल सैट निर्धारित किए है। इसके अलावा जिला में स्थानीय सिटी केबल पर इसके लिए चैनल नंबर 37 व 131 रिजर्व किया है। टीवी चैनलों पर हरियाणा एजुसेट के जरिए हिंदी व अंग्रेजी मीडियम के सभी बच्चों को समय सारणी अनुसार पढ़ाया जा रहा है। प्रशासन की तरफ से जिला केसभी केबल ऑपरेटर्स को निर्देश दिए गए है कि वे हरियाणा एजुसेट के 4 चैनलों को टीवी प्रसारण समय सारणी अनुसार करते रहें।
उपायुक्त ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण घरों पर बैठे राज्य के हजारों बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने के लिए हरियाणा एजुसेट के जरिए 4 टीवी चैनलों पर विषयवार कक्षाओं का ज्ञान दिया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश तथा जिलों के 22 हजार स्कूलों में पढऩे वाले सभी बच्चों के पास एंडरॉयड फोन, इंटरनेट, लैपटॉप, मोबाइल जैसी सुविधाएं नहीं हैं, ऐसे में बच्चों को ई-संचार के माध्यम से ई-लर्निग देना चुनौती लग रहा था। साथ ही अगर निदेशालय ई-संचार के जरिए इन सेवाओं का इस्तेमाल करता तो कई लाखों जीबी डाटा बच्चों को विषयवार ज्ञान देने में खर्च हो जाता और ऐसी स्थिति में इंटरनेट डाटा का संकट भी गहरा जाता। ऐसे में टीवी ही एक ऐसा माध्यम शेष बचा था, जिसके माध्यम से निदेशालय बच्चों में विषयवार ज्ञान देने के साथ-साथ इंटरनेट डाटा भी सुरक्षित कर सकता था।

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