हिसार

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय में टिड्डी प्रकोप व नियंत्रण पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन

हिसार,
अफ्रीका एवं एशिया के कुछ देशों में रेगिस्तानी टिड्डियों के बढऩे एवं टिड्डी दल बनने से कृषि पर एक गंभीर खतरा बना हुआ है। खाद्य एवं कृषि संगठन, रोम के अनुसार अनुकुल परिस्थिति के कारण टिड्डियों का प्रजनन 400 गुना बढ़ गया है। भारत में टिड्डियों का प्रजनन ग्रीष्म ऋतु में होता है जबकि टिड्डियों के दल शरद एवं बसंत ऋतु में प्रजनन योग्य स्थानों से भारत में घुस जाते हैं। पिछले 15 से 20 दिनों में विभिन्न टिड्डी दल राजस्थान में दाखिल हो गये हैं तथा वहां से गुजराज, मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र के कुछ हिस्से में फैल गये हैं ।
इस बहुभक्षी कीट की समस्या को ध्यान में रखते हुए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रोफेसर केपी सिंह, के दिशानिर्देश में कीट विज्ञान विभाग एवं शोध निदेशालय की ओर से ‘टिड्डियॉं कृषि के लिए एक गंभीर खतरा’ विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। प्रोफेसर के.पी. सिंह ने टिड्डियों की वर्तमान एवं आगामी स्थिति को देखते हुए गंभीर चिंता व्यक्त की एवं वैज्ञानिकों एवं प्रसार कार्यकर्ताओं को सतर्क रह कर तैयार रहने का निर्देश दिया। वेबिनार की शुरूआत में शोध निदेशक डॉ. एसके सहरावत ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया एवं वेबिनार के विषय पर प्रकाश डाला। इस वेबिनार में पहला व्याख्यान ​डॉ. केएल गुर्जर, डिप्टी डायरेक्टर, टिड्डी चेतावनी संस्था, डी.पी.पी.क्यू.एस., फरीदाबाद द्वारा टिड्डियों के भारत में आने से सम्बन्धित मार्गों एवं आगे के फैलाव पर दिया। डॉ. योगेश कुमार, विभागाध्यक्ष, कीट विज्ञान विभाग ने दूसरा व्याख्यान टिड्डियों की जीवन चक्र एवं प्रबंधन पर दिया। प्रत्येक व्याख्यान के बाद प्रतिभागियों ने व्याख्यानकर्ताओं के साथ विचार विमर्श किया। इस वेबिनार में 18 राज्यों से लगभग 240 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमें वैज्ञानिकगण, कृषि अधिकारी, शोधकर्ता एवं प्रसार कार्यकर्ता सम्मिलित थे। डॉ. नीरज कुमार अतिरिक्त शोध निदेशक एवं डॉ. वीके बत्रा, प्रोजेक्ट निदेशक भी इस वेबिनार में उपस्थित थे।

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