हिसार

हकृवि की एक और पीएचडी छात्रा स्विट्जरलैंड में क्लाइमेट स्मार्ट फ़ार्मिंग पर काम करने जाएगी

हिसार,
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी), भारत सरकार एवं शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने की योजना (स्पार्क) के तहत हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से पीएचडी की छात्रा सुश्री नव्रीत बस्सी, ज्यूरिख आधारित स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (ईटीएच) स्विट्जरलैंड में 3 महीने के लिए क्लाइमेट स्मार्ट फ़ार्मिंग पर काम करने के लिए जाएंगी। स्विट्जरलैंड जाने से पहले, छात्रा ने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.पी. सिंह से अपने असाइनमेंट और सुरक्षित यात्रा में सफलता के लिए आशीर्वाद लिया।
विश्वविद्यालय परिसर में प्रो. वर्नर यूगर का स्वागत करते हुए, प्रो. के.पी. सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय ने अपनी शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर में प्रतिष्ठित शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के साथ सहयोग की प्रक्रिया शुरू की हुई है। हम आपसी शैक्षणिक हित के क्षेत्रों की पहचान करके आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी पीएचडी छात्रा स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (ईटीएच), ज्यूरिख में कृषि-मौसम संबंधी तकनीकों के माध्यम से क्लाइमेट स्मार्ट फार्मिंग पर काम करेगी। वह ईन्डों स्विस सहयोगी परियोजना में शैक्षणिक गतिविधियों, अपने पीएचडी शोध कार्य की प्रस्तुतियों और स्विट्जरलैंड में विद्वानों, शोधकर्ताओं और संकाय के साथ बातचीत में भाग लेंगी।
हाल ही में, डॉ. सुरेंद्र एस धनखड़ और डॉ. राज सिंह, ने स्विट्जरलैंड का दौरा किया और स्विटजरलैंड के फ्ऱाइबर्ग में 17वीं स्विस जियोसाइंस बैठक में भाग लिया, जहां उन्होंने एक खुले विज्ञान सत्र में अपनी संबंधित शोध वार्ता प्रस्तुत की। स्पार्क परियोजना के तहत ईटीएच, ज्यूरिख का दौरा करते हुए, उन्होंने प्रयोग स्थलों का भी दौरा किया, उनके पास जलवायु-स्मार्ट भूमि प्रबंधन अवधारणाओं की प्रारंभिक मूल्यांकन और प्रमुख जलवायु-प्रासंगिक ग्रीनहाउस गैसेस अर्थात, कार्बनडाईआक्साइड और मीथेन फ्लक्स की सही माप के साथ जलवायु लचीला खेती के लिए प्रासंगिक थे। ।
वर्तमान में, स्पार्क एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत हकृवि पर जाने वाले प्रो. वर्नर यूगस्टर ने स्पार्क अनुसंधान सहयोगियों, अन्य संकायों और छात्रों के साथ बातचीत की है और प्रयोगात्मक कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र विज्ञान पर विशेष व्याख्यान दिए हैं और हरियाणा और हकृवि में विभिन्न फसल प्रणालियों के लिए प्रासंगिक डेटा का वैज्ञानिक विश्लेषण किया है जिसमें कार्बनडाईआक्साइड और मीथेन उत्सर्जन के लिए कम लागत वाले फ्लक्स चेंबर (एलसीएफसी) को प्रदर्शित करना है। प्रो. वर्नर ने कुलपति प्रो के.पी. सिंह का धन्यवाद किया तथा परिसर में अविश्वसनीय आतिथ्य के लिए और उन्हें उनकी वैज्ञानिक दृष्टि व विश्वविद्यालय को वैश्विक स्तर पर पहुचाने के लिए बधाई दी। प्रो. वर्नर ने भी संघीय स्तर पर पारस्परिक शैक्षणिक हित के व्यापक डोमेन में दीर्घकालिक सहयोग के लिए हकृवि के साथ काम करने का आश्वासन दिया।

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Jeewan Aadhar Editor Desk