हिसार,
कोरोना महामारी के बीच हरियाणा सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के 11 हजार ठेका कर्मचारियों पर छंटनी की तलवार चला कर 11 हजार परिवारों की रोजी-रोटी पर प्रहार करने का काम किया है।
यह बात अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी परिसंघ के राष्ट्रीय चेयरमैन एमएल सहगल, हरियाणा कर्मचारी महासंघ के राज्य प्रधान विश्वनाथ शर्मा व राज्य महासचिव वीरेंद्र सिंह ने एक संयुक्त बयान में कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार एक ओर तो 17 हजार किसान मित्र क्लब खोलने का लॉलीपॉप किसानों को दे रही है, वहीं दूसरी ओर 6-7 वर्ष से डीसी रेट पर स्वास्थ्य विभाग में न्यूनतम वेतन पर कार्यरत ठेका कर्मचारियों की नौकरी समाप्त करने का जैसा जनविरोधी आदेश जारी कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की यह अति निंदनीय कार्रवाई है।
एमएल सहगल ने कहा कि हरियाणा सरकार के विभिन्न विभागों, बोर्ड, निगमों, विश्वविद्यालयों, विद्यालयों, पीजीआई व मैडिकल कॉलेजों में डेढ़ लाख से अधिक तदर्थ, कच्चे, ठेका कर्मी व स्कीम वर्कर न्यूनतम मानदेय पर वर्षों से कार्यरत हैं। जिन्हें नियमित करने की नीति के स्थान पर छंटनी का शिकार बनाया जा रहा है, जो भाजपा-जजपा सरकार के अच्छे दिनों का सजग उदाहरण है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के मरीजों की संख्या प्रतिदिन बढ़ रही है। ऐसे हालात में छंटनी की तलवार भी स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत ठेका कर्मचारियों पर ही क्यों चलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश भर के 22 जिला उपायुक्त कार्यालयों, सिंचाई, भवन निर्माण, पशुपालन, वन विभाग, सभी 15 विश्वविद्यालयों में स्वीकृत पद रिक्त होने के कारण ठेका कर्मचारियों से ही प्रशासन तथा अन्य विभाग चलाए जा रहे हैं। राष्ट्रीय चेयरमैन ने कहा कि सरकार व्यापक कर्मचारी आंदोलन को निमंत्रण दे रही है, जबकि कर्मचारी कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में दिनरात काम में जुटे हुए हैं।