हिसार

भारत में जरूरत से 30 लाख यूनिट कम एकत्रित होता रक्त

विश्व रक्तदाता दिवस पर विशेष

हर साल 14 जून को वल्र्ड ब्लड डोनर डे मनाया जाता है। इसे ऑस्ट्रियाई जीव विज्ञानी और भौतिकीविद कार्ल लेण्डस्टाइनर की याद में मनाया जाता है। वर्ष 2004 में ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन, अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस संघ तथा रेड क्रिसेंट समाजÓ के द्वारा 14 जून को वार्षिक तौर पर मनाने के लिये पहली बार इसकी शुरुआत और स्थापना हुयी। पर्याप्त रक्त आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिये सुरक्षित और बिना भुगतान वाले रक्त दाता, स्वेच्छा से रक्त-दान देने वाले को बढ़ावा देने, अपने बहुमूल्य कदम के लिये रक्त-दान करने वाले को धन्यवाद कहने के लिये पूरे विश्व के सभी देशों को प्रोत्साहित करने के लिये 58वें विश्व स्वास्थ्य सम्मेलन में 2005 में मई महीने में इसके 192 सदस्य राज्यों के साथ डबल्यूएचओ के द्वारा विश्व रक्त दाता दिवस की आधिकारिक रुप से स्थापना की गयी थी।
कार्ल लेण्डस्टाइनर ने ब्लड में मौजूद ब्लड ग्रुप का वर्गीकरण किया था। आंकड़ों के मुताबिक, भारत में सालाना 1 करोड़ ब्लड यूनिट की जरूरत पड़ती है। इसलिए समय-समय पर ब्लड डोनेट यानी रक्तदान करते रहना चाहिए। रक्तदान करने से न सिर्फ हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है बल्कि डोनेट किए जाने वाले ब्लड की भरपाई कुछ ही देर में हो जाती है। रक्त का दान लगाने वालों एक दूसरे की जान बचाने वालों रक्तदान करने से कभी रक्त नहीं घटा करता है।
रक्तदान को महादान कहा जाता है। एक बार रक्तदान करके तीन लोगों की जान बचायी जा सकती है। अगर जाना चाहते हो किसी के दिल मे,तो एक ही रास्ता हैं, वो है रक्तदान करके। रक्तदान से रक्तदान करने वाले के स्वास्थ्य पर इसका कोई विपरीत प्रभाव भी नहीं पड़ता है।अगर आप मरने के बाद भी जिंदा रहना चाहते हैं तो रक्तदान कीजिए।
ब्लड डोनेट करने वाले व्यक्ति को भी इस रक्तदान से फायदा मिलता है। डॉक्टर्स के अनुसार, ब्लड डोनेट करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और ब्लड पतला होता है जिससे हार्ट पर दबाव नहीं पड़ता है और हार्ट अटैक का ख़तरा कम हो जाता है। ब्लड डोनेट करने से शरीर में ब्लड बनने की प्रक्रिया में तेजी भी आती है।दीजिये मौका अपने खून को किसी की रगों में बहने का, यही लाजवाब तरीका है कई जिस्मों में जिंदा रहने का।
हमारे देश में अभी भी ब्लड डोनेशन के लिए जागरूकता आना बाकी है। क्योंकि अगर देश की 1 प्रतिशत आबादी भी ब्लड डोनेट करे तो इमरजेंसी में ब्लड की जरुरत को पूरा किया जा सकता है। भारत में रक्तदाता हर साल जितना ब्लड डोनेट करते हैं, वह जरुरत के हिसाब से करीब 30 लाख यूनिट कम है।
जीवन की रक्षा के लिए रक्त एक तरह का लाल सोना हैं।रक्त को महादान इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में आप भी किसी की जिंदगी बचाने का मौका अपने हाथ से जाने मत दीजियेगा। ऐसे मरीज जिनमें खून की भारी कमी होती है या जो ब्लड कैंसर, हीमोफीलिया और थैलेसीमिया जैसी बीमारियों से ग्रस्त होते हैं उन्हें लगातार ब्लड की जरुरत पड़ती है।
कोई भी स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है. पुरुष तीन महीने में एक बार रक्तदान कर सकते हैं, वहीं महिलाएं चार महीने में एक बार रक्तदान कर सकती हैं।

—सरदानंद राजली

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