हिसार

एक छोटे से कीटाणु ने ली 52 पशुओं की जान, किसान रहे सचेत, पुराने चारे और गोबर से फैलता है कीटाणु

हिसार,
नंगथला गांव के डेयरी फार्म में पशुओं की मौत का कारण केवल क्लोस्टिडियम कीटाणु ही पाया गया है। इसी कीटाणु के कारण अब तक 52 पशुओं की मौत हो चुकी है। आशंका जताई जा रही है कि चारे (फीड) में नमी या उसके पुराना होने के चलते यह कीटाणु पनपा। हो सकता है कि फीड के कट्टों में से किसी एक कट्टे का ही फीड पुराना या नमी वाला हो।

गोबर से फैलता है कीटाणु
इस कीटाणु ने पशुओं के शरीर में इतना तेजी से अटैक किया कि वे कुछ क्षण में ही तड़पकर दम तोड़ने लगे। यह कीटाणु गोबर के माध्यम से एक से दूसरे पशुओं में भी फैला, जिससे पशुओं की मौत की संख्या बढ़ती चली गई। हालांकि घरेलू चारे और पानी के सैंपल सही निकले। लुवास के वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को सभी तरह की जांच रिपोर्ट का विश्लेषण कर यह स्पष्ट किया है।

कीटाणु ने ऐसे पैदा की समस्या
लुवास के वैज्ञानिकों ने बताया कि क्लोस्टिडियम कीटाणु ने पनपने के बाद आंतों में सूजन पैदा की। इससे उन्हें डायरिया हुआ और शुरुआत में दस्त लगने के बाद में गोबर रुक गया। इसके साथ ही सांस लेने में परेशानी होने लगी और पशु अचानक तड़फ कर मरने लगे। पशुओं के जमीन पर पड़े गोबर पर शुरू में ध्यान नहीं दिया और उसी से अन्य पशुओं में भी यह कीटाणु पनपने लगा। फीड के साथ इस तरीके से भी यह कीटाणु फैला।

क्लोस्टिडियम है खतरनाक कीटाणु
लुवास के वैज्ञानिकों ने बताया कि क्लोस्टिडियम एक खतरनाक कीटाणु है। यह चारे, पानी, मिट्टी, पशुओं के पेट में मौजूद रहता है, लेकिन जब इसे अनुकूल परिस्थितियां मिलती हैं, खासकर नमी के मौसम में तो यह अटैक करता है। इसमें कई बार लक्षण दिखते हैं तो कई बार नहीं दिखते। यह कीटाणु पशु की अंतड़ियों को सुजा देता है और उनमें जख्म कर देता है, जिससे पशु पतला गोबर करता है और फिर गोबर करना बंद कर देता है। इसके लक्षण सांस में दिक्कत व थकान भी हो सकती है। जब इसके लक्षण नहीं दिखते तो इसमें पशु की अचानक कुछ क्षण तड़फने के बाद मौत हो जाती है।

किसान ध्यान दें
पशुओं के खान-पान का विशेष ध्यान रखें। खासकर बारिश के मौसम में उन्हें ताजा व साफ-सुथरा चारा दें। अगर बाहर से पौष्टिक आहार खरीदें तो सुनिश्चित कर लें कि वह पुराना न हो, उसमें नमी न हो और उसमें किसी तरह की हल्की दुर्गंध भी न आ रही हो।

50 से ज्यादा पशु मरे
पिछले 16 घंटे से राहत है। अगले 2-3 दिन में स्थिति पर काबू पाने की पूरी उम्मीद है। पशुपालक के लगभग 50 से अधिक पशु मौत का शिकार हुए हैं, जिनमें 20 बड़ी भैंस, 10 झोटी, चार छोटे कटड़े और साल-डेढ़ साल के लगभग 16 पशु शामिल हैं।

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Jeewan Aadhar Editor Desk