शिक्षा—कैरियर

विद्यार्थी मैथ ले या बायोलोजी..किसी फिल्ड में मिलेगी बच्चों का कामयाबी..जानें डीएमआईटी से

दसवीं के बाद स्टूडेंट्स को मैथ लेना चाहिए या बायोलॉजी? वे एक बेहतर इंजीनियर बन सकते हैं या साइंटिस्ट? ब्रेन क्रिएटिव है या लॉजिकल? इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए पैरेंट्स अपने बच्चों का डीएमआईटी (डर्मेटोलॉजीफिक्स मल्टीपल इंटेलीजेंस टेस्ट) करा रहे हैं। यह एक ऐसी तकनीक है, जिसकी सहायता से अभिभावकों को उनके बच्चों की क्षमताओं का आकलन करने में मदद मिल रही है। इससे वे इस बात का अंदाजा लगा पा रहे हैं कि उनके बच्चे का कॅरियर किस फील्ड में बेहतर रहेगा।

विशाल भारद्वाज
विशाल भारद्वाज

एस्ट्रोलॉजी से अलग यह एक वैज्ञानिक तकनीक है, इसमें फिंगर प्रिंट से किसी बच्चे का ‘इंटेलीजेंस लेवल’ पता चलता है। डीएमआईटी एक्सपर्ट विशाल भारद्वाज के अनुसार यह टेस्ट बच्चों का ‘हिडन टैलेंट’ जानने के लिए काफी उपयोगी है। कई बार बच्चों के अंदर आर्टिस्ट या डॉक्टर बनने की संभावना होती है, लेकिन पैरेंट्स उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते हैं। इसी तरह कुछ बच्चे अच्छे प्लेयर बन सकते हैं, लेकिन पैरेंट्स उन्हें कुछ और बनाना चाहते हैं। इसटेस्ट से पहले ही यह पता किया जा सकता है कि बच्चे के लिए किसी क्षेत्र में बेहतर संभावनाएं हो सकती हैं। चूंकि फिंगर प्रिंट और ब्रेन के बीच गहरा तालमेल होता है, इसलिए इस टेस्ट की रिपोर्ट लगभग सही निकलती है।

स्टूडेंट्स के साथ प्रोफेशनल्स भी करा रहे अब टेस्ट
डीएमआईटी काउंसलर विशाल भारद्वाज के अनुसार टेस्ट के दौरान बच्चे की फिंगर प्रिंट्स ली जाती है। इसके बाद फिंगर प्रिंट के पैटर्न और ब्रेन लॉब्स का वैज्ञानिक पद्धति से अध्ययन किया जाता है। इसके बाद टेस्ट की रिपोर्ट आती है, उसमें व्यक्ति की पर्सनालिटी के अनुसार स्कोर आती है।

इससे पता चलता है कि किसमें क्या खासियत है और क्या कमियां? इसके बाद स्टूडेंट्स की काउंसिलिंग की जाती है, जिसमें उन्हें बताया जाता है कि किस फील्ड में उनके लिए बेस्ट अपॉर्च्युनिटी है। उनके पास कई ऐसे स्टूडेंट्स भी आते हैं, जिनके किसी विषय में लगातार कम नंबर आ रहे होते हैं। जब टेस्ट किया जाता है तो पता चलता है कि उन्होंने जो सब्जेक्ट लिया है या पढ़ाई कर रहे हैं, उनका ब्रेन उस तरह का है ही नहीं। इसके बाद वह उन्हें गाइड करते हैं कि कौन-सी फील्ड या सब्जेक्ट उनकी क्षमता अनुसार है।

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