हिसार

फर्जी बिल..फर्जी हस्ताक्षर..फर्जी दस्तावेज और फर्जी मरीज..सरकार से मांग ली आर्थिक सहायता, 3 युवक गिरफ्तार

हिसार,
सिविल लाइन थाना पुलिस ने कैंसर इलाज के फर्जी दस्तावेज तैयार करके सरकार से आर्थिक सहायता लेने का आवेदन करने वाले तीन आरोपी फतेहाबाद के रतिया वासी दलीप, बरवाला वार्ड छह वासी सतीश और अजय को गिरफ्तार किया है। कोर्ट चौकी इंचार्ज अशोक गोयत ने बताया ने बताया कि आरोपी दलीप ने फर्जी दस्तावेज तैयार किए थे, जिनकी मदद से सतीश और अजय ने क्लेम के लिए आवेदन किया था। उच्च स्तरीय जांच में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था। इन आरोपियों को अदालत में पेश करके जेल भेज दिया है।

बता दें कि हरियाणा सचिवालय में उक्त आरोपियों ने आवेदन किया था, जिसकी हिसार के तत्कालीन एडीसी को जांच सौंपी गई थी। उनकी जांच पड़ताल में फर्जीवाड़ा पकड़ में आया था। कोर्ट चौकी इंचार्ज दिनेश कुमार ने बताया था कि अजय और सतीश ने अपने परिजनों को कैंसर रोगी बताया था। उन्होंने सर्वोदय अस्पताल में इलाज व इलाज पर खर्च राशि के फर्जी दस्तावेज तैयार किए थे। इसके बाद एक परफोर्मा तैयार करके सिविल अस्पताल में इलाज व राशि का सत्यपान करने वाले पूर्व फैमिली वेलफेयर ऑफिसर डॉ. टीपी शर्मा के फर्जी हस्ताक्षर किए थे।

इस मामले की तत्कालीन एडीसी ने जांच में सर्वोदय अस्पताल के संचालक डॉ. उमेश कालरा से पूछताछ की थी। डॉ. कालरा ने अपने अस्पताल का 15 जनवरी 2018 से 31 जनवरी 2018 का रिकॉर्ड खंगालकर बताया था कि अजय और सतीश के परिजन हमारे अस्पताल में दाखिल नहीं हुए हैं। न ही इलाज किया है। न कोई मेडिकल दस्तावेज व बिल जारी हुए हैं। इसके बाद सिविल अस्पताल के पूर्व फैमिली वेलफेयर ऑफिसर डॉ. टीपी शर्मा से दस्तावेजों पर उनके सत्यापित हस्ताक्षर बारे पूछा था।

उन्होंने बताया कि ये फर्जी हस्ताक्षर हैं। आरोपियों ने आर्थिक सहायता के लिए डीसी ऑफिस में एक आवेदन 8 मार्च 2018 और दूसरा 10 अप्रैल 2018 को किया था। सिविल सर्जन कार्यालय के लिपिक जगबीर सिंह ने बताया कि आरोपियों ने मतलोडा की रामकली और महजद वासी रामपाल के नाम डीसी ऑफिसर में आवेदन भेजा था। वास्तव में दीवान और धर्मपाल मरीज थे। डिस्पैच नंबर व इंद्राज तक फर्जी दर्शाया गया था। सिविल अस्पताल के आरोग्य कोष के पूर्व डिलिंग लिपिक ने बताया था कि दस्तावेज फर्जी हैं। यह फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद पुलिस के पास मामला पहुंचा। उक्त आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था।

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