किसान करें औषधीय पौधों की खेती – आय में करें बढोतरी
हिसार,
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते पैदा हुए हालात मे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर ही इस बीमारी से लड़ा जा सकता है। इस महामारी के चलते देसी जड़ी-बुटियां हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर हमें इस महामारी से लडऩे में मददगार साबित हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना का संक्रमण जैसे-जैसे बढ़ रहा है, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली चीजों की आवश्यकता है। चिकित्सा सुगंधित व महत्वपूर्ण संभावित पौध विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक छाबड़ा के अनुसार वैज्ञानिक शोध से भी सिद्ध हो चुका है कि औषधीय पौधे कोरोना महामारी से लडऩे के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस सदंर्भ में आनुवांशिकी व प्रजनन विभाग के औषधीय पौध की नर्सरी के इंचार्ज डॉ. राजेश कुमार आर्य के अनुसार अनेक ऐसे औषधीय पौधे हैं जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं।
ये हैं मुख्य पौधे जिनके प्रयोग से बढ़ा सकते हैं प्रतिरोधक क्षमता
अश्वगंधा – विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक छाबड़ा के अनुसार अश्वगंधा प्राकृतिक रूप से हमारे आस-पास, सडक़ किनारे, खेत की मेढ़/डोल तथा वन क्षेत्रों में पाया जाता है, जिसकी जड़ फेफड़ों की सोजन, पक्षाघात, अलसर, चर्मरोग, गठिया, रक्तचाप, दुर्बलता तथा थकावट को दूर करने के लिए प्रयोग होती है। इसकी जड़ का चूर्ण शक्तिवर्धक टोनिक के रूप में सभी आयुवर्ग के लोग प्रयोग कर सकते हैं। इसका सेवन 3-4 सप्ताह से 3-4 महीने तक करने से शरीर में ओज, स्फूर्ति, शक्ति, चेतना तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
तुलसी –तुलसी में विषाणुओं से लडऩे की क्षमता होती है। प्राचीन काल से ही सर्दियों में जुकाम, बुखार, खाँसी एवं कफ के निवारण हेतु तुलसी की पत्तियों का काढ़ा बनाया जाता है।
मुलहठी-यह दमा, टी.बी.,कफ, निमोनिया, यकृत रोग तथा शिरा रोगों में अत्यन्त लाभकारी हो सकती है। इसके अलावा यह पीपासानाशक, वमननाशक एवं बुद्धिवर्धन है व पैप्टिक अलसर में भी उपयोगी पायी गई है। इसका प्रयोग कीटाणुनाशक औषधियां, एल्कोहल, यीस्ट कल्चर उत्पादन् के लिए भी किया जाता है।
गिलोय : गिलोय में रोगाणु-विषाणु से लडऩे की क्षमता होती है। इसकी लता का काढ़ा बुखार आदि में दिया जाता है। इसकी बेल, जड़, फल तथा पत्तियों का विभिन्न औषधियों के निर्माण में उपयोग किया जाता है। इसकी जड़ वमनकारी होती है। गिलोय हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है तथा श्वास संबंधी रोगों को ठीक करती है।
दाल-चीनी- इसका उपयोग ब्रोन्काईटिस, दाम आदि श्वास संबंधी रोगों के उपचार के लिए दवाईयों में उपयोग होता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि दिन में केवल 2-4 ग्राम दालचीनी चूर्ण का ही उपयोग करें। अधिक मात्रा हानिकारक हो सकती है।
बांसा – इन पौधों का उपयोग मुख्य रूप से श्वास रोगों, खांसी, सर्दी-जुकाम में किया जाता है। इसे कफ निवारक के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त दमा, ब्रोकाईटिस, खुजली, जोड़ों का दर्द में भी इस्तेमाल होता है। इनमें एन्टी-वायरल, एन्टी-बैकटेरियल तथा एन्टी-फंगल गुण भी पाए जाते हैं।
लेमन ग्रास – लेमन ग्रास से सिर दर्द और मानसिक तनाव कम होता है। इसके उपयोग से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती मिलती है। इसकी ताजी/सूखी पत्तियों का उपयोग ‘ग्रीन टी’ के रूप में किया जाता है।
अदरक-अदरक एक अद्भुत औषधीय पौधा है, जो कई प्रकार की बीमारियों से बचाने में मद्दगार है। इसके अतिरिक्त अदरक हमारे इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाने में सहायक है।
हल्दी- हल्दी हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। इसके जीवाणुरोधी, एन्टी-वायरल तथा एन्टी-फंगल तत्त्व भी पाया जाता है। जो हमारे शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक है। सुदृढ़ प्रतिरक्षा क्षमता हमें सर्दी, फ्लू और खांसी होने की संभावना को कम करती है। सर्दी, खांसी या फ्लू होने पर एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी पाऊडर को मिलाकर पी सकते हैं। इसके अतिरिक्त हल्दी कैंसर, गठिया, मधुमेह, हृदय रोग से निदान, घाव भरने, वजन घटाने में सहायक है।