हिसार

सभी शिक्षकों के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहा डा. राधाकृष्णन का व्यक्त्त्वि : डा. सुरेन्द्र बिश्नोई

हिसार,
भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक राजनेता होने के साथ—साथ विख्यात शिक्षाविद् एवं शिक्षक थे। उनका व्यक्तित्व सभी शिक्षकों के लिये प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने भारतीय धर्म व दर्शन को वैश्विक स्तर पर प्रकट किया था। भारतीय दार्शनिकों की महनीय परम्परा में उनका स्थान अतुलनीय है।
यह बात सर्वोदय भवन हिसार की अनवरत गोष्ठी में डॉ. राधाकृष्णन पर बोलते हुए दयानन्द महाविद्यालय हिसार के सहायक प्रोफ़ेसर डॉ. सुरेन्द कुमार बिश्नोई ने कही। डॉ. बिश्नोई ने ‘डॉ. राधाकृष्णन के विश्व दर्शन’ पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि डॉ. राधाकृष्ण का जन्म तमिलनाडु में एक अत्यंत ही निर्धन परिवार में हुआ था। उन्होंने अनेक संघर्षों के साथ अपनी पढ़ाई की। देश और विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों में प्रोफ़ेसर और कुलपति रहे। रूस में भारत के राजदूत से लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन रहे। 1954 में उन्हें ‘भारत रत्न’ की उपाधि से नवाजा गया। उन्होंने अनेक ग्रन्थ लिखकर भारतीय संस्कृति धर्म दर्शन की महानता को विश्व के सामने उजागर किया। वे 1962 से 1967 तक भारत के राष्ट्रपति रहे। सादा जीवन उच्च विचार उनकी पहचान थी।
डॉ. बिश्नोई ने आगे कहा कि डॉ. राधाकृष्ण विश्व मानव थे। आज वे मुनष्य मात्र के लिये प्रेरणा स्रोत है। भारत से अधिक बाहर के देशों में उनके साहित्य को पढ़ा जाता है जो उनकी वैश्विक ख्याति का प्रतीक है। इस अवसर पर सर्वोदय भवन के सचिव धर्मवीर शर्मा सहित नगर के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। मंच संचालन सत्यपाल शर्मा ने किया।

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