हिसार

हिसार में रोबोटिक ब्लैडलेस लेजर से होगा मोतियाबिंद का इलाज

हिसार,
आई-क्यू सुपर स्पेशियलिटी आई हॉस्पिटल्स (अग्निहोत्री आई अस्पताल) तायल गार्डन, हिसार ने नए कैटलिस प्रिसिजन लेजर सिस्टम की शुरुआत की है। कैटालिस के उपयोग के साथ की जाने वाली मोतियाबिंद सर्जरी बेहतर दृश्य परिणाम देती है जो सुरक्षित, अनुमानित, सटीक और बेहतर दृष्टि बहाली दर सुनिश्चित करती है। कैटालिस सिस्टम को दुनिया भर के मोतियाबिंद विशेषज्ञों के एक चिकित्सा सलाहकार बोर्ड के सहयोग से विकसित किया गया है। यह दुनिया में शीर्ष 100 तकनीकी इनोवेशन में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त है। भारत की बात करें तो यहां मोतियाबिंद अंधापन का सबसे आम कारण है। हाल ही में डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार 75 से 83 वर्ष के बीच के 82 प्रतिशत भारतीय मोतियाबिंद से पीडि़त हैं, जिससे अंधापन हो सकता है। इसीलिए हिसार में सबसे उन्नत प्रीमियम तकनीक स्थापित करके, आई-क्यू का उद्देश्य अपने रोगियों को सर्वोत्तम मोतियाबिंद उपचार प्रदान करना है।
बुधवार को आई-क्यू सुपर स्पेशियलिटी आई हॉस्पिटल्स के संस्थापक और सीएमडी डॉ अजय शर्मा ने हिसार में स्थापित इस नई तकनीक के बारे में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि आई-क्यू हमेशा अपने सभी अस्पतालों में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी स्थापित करने में अग्रणी रहा है, जिसके परिणामस्वरूप बेहतरीन परिणाम प्राप्त हुए हैं। हाल ही में यहां कैटालिस प्रिसिजन लेजर सिस्टम लगाया गया है जो सर्जन को मोतियाबिंद सर्जरी में परिणाम की सटीकता और गुणवत्ता प्रदान करने में मदद करेगा। डा. शर्मा ने बताया कि इस तकनीक से सफेद मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद मरीज दो दिन के बाद अपने जीवन में सामान्य काम काज कर सकता है। हिसार के 100 से 150 किलोमीटर के दायरे में इस तरह की तकनीक पहली बार उपलब्ध करवाई गयी है और यहां इसका इलाज मैट्रो सिटी के मुकाबले काफी सस्ता है।
एक सवाल के जवाब में डा. शर्मा ने कहा कि लॉकडाउन के कारण देश में आंखों के मरीज बढ़े हैं। वर्क फ्राम होम और बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस ने आंखों के मरीजों को बढ़ा दिया है। लगातार कंप्यूटर या लैपटॉप के सामने बैठकर काम करने या फिर बच्चों द्वारा मोबाइल फोन में ऑनलाइन क्लास लेने के कारण आंखों पर बुरा प्रभाव हुआ है। उन्होंने बताया कि बढ़ते प्रदूषण और बढ़ते मधुमेह के कारण मोतियाबिंद से प्रभावित होने की उम्र की सीमा घट रही है। पहले मोतियोबिंद 60 से अधिक उम्र वालों को अधिक होता था लेकिन अब 50 से अधिक उम्र वालों में भी मोतियोबिंद बढ़ा है।
आईक्यू मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल्स के डिप्टी डायरेक्टर- मोतियाबिंद चिकित्सा, डॉ अंकित विनायक ने इस मौके पर कहा कि बेहतर तकनीक लोगों के स्वास्थ्य संबंधी व्यवहार को बदल सकती है और स्वास्थ्य सेवा में सुधार कर सकती है। आई-क्यू ने हमेशा रोगी की ज़रूरतों का ध्यान सबसे पहले रखा है और यह तकनीकी पैमाने अभी तक नेत्र देखभाल प्रदान करने की हमारी लंबे समय से चली आ रही दृष्टि का एक और चमकदार उदाहरण है।
अस्पताल के क्षेत्रीय मेडिकल डायरेक्टर डॉ गौरव गोयल ने कहा कि कैटालिस सिस्टम में 50 से अधिक नई विशेषताएं शामिल हैं, जो मोतियाबिंद से पीडि़त व्यक्ति के लिए काफी लाभदायक है। कैटालिस प्रेसिजन लेजऱ सिस्टम लगातार प्रीमियम विजुअल परिणाम देता है।
बता दें कि 2007 में स्थापित, आई-क्यू अस्पताल श्रृंखला में 37 सुपर स्पेशियलिटी नेत्र अस्पताल हैं जो पूरे भारत में सस्ती कीमत पर उच्च-गुणवत्ता की नेत्र देखभाल प्रदान करते हैं।
अधिक जानकारी के लिए https://www.eyeqindia.com/ पर लॉग ऑन करें।

Related posts

‘मेरा पानी व मेरी विरासत’ को साबित करने में मददगार साबित होगी धान की सीधी बिजाई : केपी सिंह

किसानों के नाम पर चल रहा कांग्रेस—कामरेड प्रायोजित आंदोलन—ओमप्रकाश धनखड़

Jeewan Aadhar Editor Desk

प्रदर्शन में उमड़ी भीड़ से उत्साहित आंगनवाड़ी महिलाओं ने दी कड़े आंदोलन की चेतावनी

Jeewan Aadhar Editor Desk