हिसार

गोहाना रैली में 1 को हिसार जिला के रोडवेज कर्मचारी करेंगे बढ़चढ़ कर भागीदारी : नैन

पुरानी पैंशन स्कीम की बहाली की मांग को लेकर गोहाना में होने वाली रैली की तैयारियों को लेकर रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने की बैठक

हिसार,
हरियाणा कर्मचारी महासंघ से संबंधित रोडवेज कर्मचारी यूनियन की बैठक यूनियन कार्यालय में जिलाध्यक्ष राजपाल नैन की अध्यक्षता में हुई। बैठक में पुरानी पैंशन स्कीम की बहाली व नई पैंशन स्कीम के विरोध में 1 नवंबर को गोहाना में होने वाली रैली में बढ़चढ़ कर भाग लेने का निर्णय लिया गया।
बैठक को संबोधित करते हुए जिला प्रधान राजपाल नैन ने कर्मचारियों को पुरानी पैंशन स्कीम व नई पैंशन स्कीम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 1857 की आजादी की लड़ाई के बाद अंग्रेजों ने भारत में पैंशन की शुरूआत की थी और इंडियन पैंशन एक्ट 1871 के तहत कर्मचारियों के लिए पैंशन की व्यवस्था की गई। वर्ष 1921 में बढ़ती महंगाई के कारण इसमें अस्थाई वृद्धि की गई। वर्ष 1946 में प्रथम पे कमीशन के गठन पर पैंशन भोगियों ने अपनी समस्याओं का समाधान करवाने के लिए बहुत प्रयास किया। चार साल के संघर्ष के बाद 17 अप्रैल 1950 को एक उदार पैंशन प्रणाली की व्यवस्था की गई, जिसमें सेवा के दौरान मृत्यु, सेवानिवृति पर ग्रेच्यूटी आदि का प्रावधान किया गया। कर्मचारियों के लगातार संघर्ष के चलते जनवरी 1964 से पारिवारिक पैंशन की व्यवस्था कराने में कर्मचारी नेताओं को सफलता हासिल हुई। इसके साथ-साथ कर्मचारी नेताओं ने न्यायालयों में भी कर्मचारी हितों की पैरवी की। रिट पेटीशन संख्या 217/1968 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सरकार को स्पष्ट तौर से कहा गया कि पैंशन एक वैधानिक दायित्व है, यह कोई उपहार या पारितोषिक नहीं है। साल 1972 में सरकार द्वारा पैंशन नियमावली 1972 के तहत कम्युटेशन, पारिवारिक पैंशन, महंगाई भत्ता, चिकित्सा भत्ता आदि तमाम तरह की सुविधाएं दी गई। उन्होंने कहा कि वर्ष 2002 तक सब ठीक चलता रहा। वर्ष 2003 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने आनन-फानन में अंशदायी पैंशन प्रणाली की घोषणा केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिकए कर दी गई। इसमें कर्मचारियों के वेतन से कटौती का प्रावधान किया गया। वर्ष 2004 में पुरानी पैंशन स्कीम को बंद कर नई कागजी योजना जिसका अंश मात्र भी ज्ञान नहीं था जबरदस्ती कर्मचारियों पर थौंप दी गई। विभिन्न राज्य सरकारों ने भी इसका अनुसरण करते हुए पैंशन को बंद कर दिया। हालांकि इसको लागू करने के लिए राज्य सरकारें बाध्य नहीं थी, फिर भी हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य ने सबसे ज्यादा तत्परता दिखाते हुए 15 मई 2003 को पैंशन बंद करके कर्मचारी विरोधी निर्णय लिया।
जिला प्रधान राजपाल नैन ने बताया कि पैंशन नियमावली 1972 को खत्म करते समय जो नए नियम बनाए गए उनको ना तो प्रकाशित किया गया और ना ही निष्पादित तथा परिभाषित किया गया। कर्मचारियों का वेतन 10 प्रतिशत काट कर एजी ऑफिस में भेजा जाने लगा। इसके बाद वर्ष 2006 में अंशदायी पैंशन योजना का ड्राफ्ट तैयार कर अधिसूचना जारी कर दी गई। इसमें भी किसी तरह की स्पष्टता जाहिर नहीं की गई कि किस कर्मचारी को कितनी पैंशन मिलेगी और कब मिलेगी तथा कौन अदा करेगा।
कर्मचारी नेता ने बताया कि 11 जून 2010 को पैंशन फंड नियामक प्राधिकरण द्वारा परिभाषित नई पैंशन स्कीम को अपनाने की अधिसूचना प्रदेश सरकार द्वारा जारी करके कर्मचारी का वेतन 10 प्रतिशत तथा इतना ही पैसा सरकार द्वारा डाला जाएगा और कुल राशि को शेयर बाजार में लगाकर निवेश किया जाएगा। जिसका सेवा के दौरान कर्मचारी द्वारा निकासी का कोई नियम नहीं है। इसके साथ-साथ सेवानिवृति के समय जो राशि कर्मचारी के खाते में जमा होगी, उसका 60 प्रतिशत हिस्सा ही कर्मचारी को दिया जाएगा और बाकि जो 40 प्रतिशत राशि बचेगी वो कंपनी को दी जाएगी, जिसका मिलने वाला ब्याज कर्मचारी को पैंशन के रूप में दिया जाएगा।
जिला प्रधान राजपाल नैन ने बताया कि आरंभ के 10 वर्षों में कोई कर्मचारी इस योजना के अंतर्गत सेवानिवृत नहीं होने के कारण इसके दुष्परिणामों का पता नहीं लग पाया था। इसके दुष्परिणाम इस प्रकार सामने आने लगे कि 70 हजार वेतन प्राप्त करने वाला कर्मचारी केवल 1200-1500 तक ही पैंशन पा रहा है और जिसकी वेतन से कटौती 7000 रुपए प्रति माह की जा रही थी।
राजपाल नैन ने कहा कि दूसरी तरफ सांसदों और विधायकों के वेतन व भत्तों के साथ-साथ पैंशन में बेहताशा वृद्धि हो रही है, जिससे प्रतीत होता है कि देश के राजनेताओं ने कर्मचारियों के वेतन व भत्तों से अपनी पैंशन व भत्ते बढ़ाने का जुगाड़ बना लिया है। लगातार कर्मचारी संगठनों के विरोध के चलते दबाव में सरकार ने अपना अंशदान 10 प्रतिशत से बढ़ा कर 14 प्रतिशत कर दिया है तथा सेवानिवृति के समय मिलने वाली राशि को भी कर मुक्त करना पड़ा। उन्होंने कहा कि देश व प्रदेश का कम्रचारी नई पैंशन स्कीम बंद करके पुरानी पैंशन स्कीम लागू करने की मांग को लेकर सरकारों के खिलाफ अपनी आवाज लगातार बुलंद कर रहा है।
जिला प्रधान ने कहा कि देश व प्रदेश की सरकारों के प्रति कर्मचारियों का बढ़ता आक्रोश और सरकार द्वारा की जा रही अनदेखी निश्चित तौर पर टकराव की स्थिति उत्पन्न कर देगी। सभी को सरकारों की निरंकुशता के दुष्परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।
कर्मचारी नेता ने कर्मचारियों से अपील की कि अपने हकों व अधिकारों की प्राप्ति के लिए तथा पुरानी पैंशन स्कीम बहाल कराने के लिए 1 नवंबर को गोहाना में होने वाली रैली में बढ़चढ़ कर भागीदारी करें और कर्मचारी नेताओं के हाथ मजबूत करें। उन्होंने बताया कि हिसार डिपो व हांसी से सैकड़ों कर्मचारी गोहाना रैली में पहुंच कर अपना रोष प्रकट करेंगे।
बैठक को का. रूप सिंह बोस, राजबीर सिंधू, राजबीर पेटवाड़, रमेश यादव, अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी परिसंघ के राष्ट्रीय चेयरमैन एमएल सहगल, उपायुक्त कार्यालय के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नरेश गोयल आदि ने भी संबोधित किया।

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