हिसार

लंबे समय से मांगे पूरी होने की बाट जोह रही प्रदेश की आशा वर्कर

सरकार एवं विभाग के नकारात्मक रवैये को देख आशा वर्कर लेंगी 26 की हड़ताल में भाग

अनेक बार सहमति के बावजूद लागू नहीं की जा रही सहमत हुई मांगे

हिसार, (राजेश्वर बैनीवाल)।
आशा वर्कर, जिनके कंधे पर स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख योजनाओं को सिरे चढ़ाने का जिम्मा हैं, वे खुद आज समस्याओं से जूझ रही है और मांगे पूरी करवाने के लिए आंदोलन का सहारा लेना पड़ रहा है। आंदोलन भी एक बार नहीं, पहले मांगों को पूरा करवाने के लिए और फिर सरकार एवं विभाग से सहमत हुई मांगों को लागू करवाने के लिए भी उन्हें आंदोलन का सहारा लेना पड़ता है। इसके बावजूद कई बार की सहमति व लिखित आश्वासन के बावजूद अभी तक आशा वर्करों की मांगे पूरी नहीं हुई है और न ही समस्याओं का हल हुआ है। नियमित कर्मचारियों की तरह काम करने के बावजूद ये आशा वर्कर विभाग में नियमित होने की बार—बार मांग कर रही है लेकिन इन्हें नियमित करना तो दूर, मामूली वेतन से गुजारा करना पड़ रहा है।
जी हां, आशा वर्कर जब घर—घर जाकर विभाग के किसी कार्य का सर्वे करती है तो उन्हें जनता तो विभाग का कर्मचारी समझती है लेकिन वास्तव में वे कर्मचारी नहीं है। सरकार एवं विभाग द्वारा बार—बार वादाखिलाफी करने से गुस्साई आशा वर्कर्स अब 26 नवम्बर की राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल होने के लिए कमर कस चुकी है। आशा वर्करों की मांगों, समस्याओं, मूल कार्यों, कार्य अधिकता व हड़ताल में भाग लेने आदि मसले पर यूनियन की जिला प्रधान सीमा देवी से विस्तार से बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि किस तरह आशा वर्कर को मामूली वेतन में गुजारा करके नियमित कर्मी की तरह दिन—रात काम करना पड़ता है।
मूल कार्यों के अलावा करने पड़ते हैं अन्य काम
वास्तव में आशा वर्करों का मूल कार्य इजेंक्शन डे के दिन छोटे बच्चों व गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण, उनकी नियमित जांच, ​रजिस्टर मेनटेन करना, गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच करवाना, डिलीवरी के दौरान साथ जाना व उनकी सहायता करना है लेकिन इनके अलावा भी विभागीय अधिकारी उन्हें अन्य कार्य सौंप देते हैं। कोविड के दौरान मार्च, अप्रैल में घर—घर जाकर सर्वे करना, मरीजों का पता लगाना, टीबी सर्वे करना तथा हाल ही कोविड के बढ़ने पर उन्हें फिर से घर—घर सर्वे कार्य के निर्देश दिए गए हैं। जनता के हित में व विभागीय निर्देशों के तहत सभी आशा वर्कर अपने कार्यों को पूररी तल्लीनता से करती हैं लेकिन दुख तक होता है जब उनकी मांगों व समस्याओं को हल करने के समय सरकार व विभागीय अधिकारी मुंह फेर लेते हैं। यही कारण है कि कोविड काल में भी उन्हें अपनी ड्यूटी के साथ—साथ आंदोलन करना पड़ता। सरकार ने अक्टूबर माह में मांगे पूरी करने का आश्वासन दिया, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात वाला रहा।

ये मांगे पड़ी है लंबे समय से लंबित
जिला प्रधान सीमा देवी के अनुसार उन्हें आंदोलन करने का शौक नहीं है लेकिन इसके लिए सरकार मजबूर कर रही है। उन्होंने बताया कि उनकी अनेक मांगे लंबे समय से लंबित पड़ी है। सहमति के बावजूद सरकार एवं विभागीय स्तर पर मांगे पूरी नहीं हुई। आशा वर्कर्स यूनियन ने सरकार को जो मांगपत्र दिया हुआ है, उसमें मांग है कि 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को लागू करते हुए आशाओं को पक्का कर्मचारी बनाया जाए, न्यूनतम वेतन 24 हजार रुपये व सभी सामाजिक सुरक्षा लाभ दिए जाएं, एनएचएम को स्थाई बनाया जाए, सबके लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाई जाए व स्वास्थ्य को अधिकार बनाया जाए, एक्टिविटी का काटा गया 50 प्रतिशत तुरंत वापिस लागू किया जाए, कोविड में काम कर रही आशाओं को जोखिम भत्ते के तौर पर चार हजार रुपये दिए जाएं, कोविड के लिए दिए जा रहे 1000 रुपये प्रोत्साहन राशि का 50 प्रतिशत दिया जाए, गंभीर रूप से बीमार व दुर्घटना की शिकार आशाओं को सरकार के पैनल अस्पतालों में इलाज की सुविधा दी जाए, आशाओं को ग्राम स्तरीय स्थाई कर्मचारी बनाया जाए, जब तक पक्का नहीं किया जाता तब तक हरियाणा सरकार का न्यूनतम वेतन दिया जाए, इसे महंगाई भत्ते के साथ जोड़ा जाए व ईएसआई व पीएफ की सुविधा दी जाए, आशा वर्कर्स को हेल्थ वर्कस का दर्जा दिया जाए, वर्ष 2018 के नोटिफिकेशन के सभी निर्णयों को तुरंत लागू किया जाए तथा दसवीं से कम पढ़ी हुई किसी भी आशा वर्कर की किसी भी सूरत में छंटनी न की जाए व आशा के रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष की जाए।
हड़ताल में लेंगी भाग
आशा वर्कर यूनियन की जिला प्रधान सीमा देवी, जिला कैशियर अनिता व आशा वर्कर सुनीता ने बताया कि केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर 26 नवम्बर को होने वाली राष्ट्रव्यापी हड़ताल में आशा वर्कर भी शामिल होंगे। सरकार एवं विभाग की वादाखिलाफी से आशा वर्करों में रोष है और वे इस हड़ताल में शामिल होकर अपने रोष का इजहार करेंगी।

Related posts

फतेहाबाद पुलिस का 25 हजार का इनामी बदमाश गिरफ्तार

नेशनल लोक अदालत के लिए 20 बेंच गठित

Jeewan Aadhar Editor Desk

हिसार जिले के चारों टोल रहे फ्री, सरकार के खिलाफ की नारेबाजी

Jeewan Aadhar Editor Desk