किसानों पर दर्ज मुक़दमे वापिस लेने की मांग, कृषि बिलों पर पुनर्विचार करने, एमएसपी व मंडी व्यवस्था बहाली को बिल में शामिल करने की मांग
हिसार,
हाल ही में पारित कृषि बिलों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में जिला बार एसोसिएशन खुल कर आ गई है। बार ने किसानों पर दर्ज मुकदमो को वापिस लिये जाने की मांग के साथ—साथ एमएसपी और मंडी व्यवस्था को बहाल रखने का लिखित आश्वासन देकर बिल में शामिल करने की मांग की है।
इस संबंध में बुधवार को जिला बार एसोसिएशन की बैठक बार के अध्यक्ष एडवोकेट मनदीप बिश्नोई की अध्यक्षता में बुलाई गई। मंच संचालन करते हुए सचिव संदीप बूरा ने सभी उपस्थित अधिवक्ताओं को इस विषय पर विचार रखने के लिये आमंत्रित किया। बार के दर्जनों अधिवक्ताओं ने किसान आंदोलन का पूर्ण समर्थन किया और इस विषय पर विचार रखते हुए केंद्र सरकार से इन बिलों को वापिस लेने की मांग की।
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट मनदीप बिश्नोई ने कहा इस आंदोलन में बार एसोसिएशन किसानों के साथ मजबूती के साथ खड़ी है और किसानों पर मुकदमे दर्ज करना निंदनीय है। उन्होंने कहा कि किसानों पर दर्ज मुकदमो को बार एसोसिएशन की तरफ से मुफ्त लड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री जब ये कह रहे है कि एमएसपी और मंडी व्यवस्था को बहाल रखा जाएगा तो इसको लिखित में दिए जाने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि जमाखोरी पर पाबंदी लगाने के लिये आवश्यक वस्तु अधिनियम में ऐसे प्रावधान शामिल किये जायें ताकि जमाखोरों द्वारा कालाबाजारी न की जा सके। इसके साथ—साथ इन बिलों में दीवानी अदालतों को सुनवाई से बाहर रखा गया है, इसमे संशोधन करते हुए दीवानी अदालतों को सुनवाई के क्षेत्राधिकार दिये जाने का प्रावधान शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वीरवार को किसान संगठनों की केंद्र सरकार के साथ बैठक है, अगर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं निकलता तो किसान हित मे अगर धरना भी देना पड़ा तो बार एसोसिएशन पीछे नहीं हटेगी।
बार सचिव संदीप बूरा ने कहा कि जो प्रस्ताव जनरल हाउस में पास किया गया है उसे महामहिम राष्ट्रपति, राज्यपाल, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को भेजा जायेगा और जरूरत पड़ी तो दिल्ली जाकर समर्थन देने से भी कोई गुरेज नही होगा। इस अवसर पर उप प्रधान राजेश यादव, सह सचिव पीयूष तपाड़िया, कोषाध्यक्ष सीताराम भाटी, पूर्व प्रधान एडवोकेट कलम सिंह, लाल बहादुर खोवाल, डॉ. अर्जुन सिंह राणा, जगदीश राय बिश्नोई, कमल सहरावत, सोमदत्त सिवाह, अनिल जलंधरा, विक्रम पंघाल, सुनील डारा, डॉ. राजबीर मोर, सुनील पूनिया, किशोर दहिया, अनिल जांगड़ा सहित बहुत सदस्यों ने अपने विचार रखे।