हिसार

कृषि में आधुनिक तकनीकों व उन्नत किस्मों का प्रयोग हो तो खेती नहीं घाटे का सौदा : कुलपति

खेती के लिए शिक्षित युवा आगे आएं, कृषि संबंधी प्रशिक्षण लें और कृषि को बिजनेस का रूप दें

कृषि शिक्षा दिवस पर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिकों ने किया मंथन

हिसार,
अगर आधुनिक तकनीकों व फसलों के उन्नत किस्मों के बीजों का प्रयोग किया जाए तो कृषि घाटे का सौदा नहीं हो सकता। साथ ही जैविक खेती के साथ कृषि उत्पादों की गुणवत्ता को बनाए रखने से न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी डिमांड बढ़ेगी।
यह बात हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. समर सिंह ने विश्वविद्यालय में कृषि शिक्षा दिवस पर ऑनलाइन माध्यम से आयोजित वेबिनार को मुख्य संरक्षक के तौर पर संबोधित करते हुए कही। वेबिनार का आयोजन कृषि महाविद्यालय की ओर से आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में सीएसके हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति डॉ. एच.के. चौधरी मुख्य अतिथि थे जबकि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. ए.के. सिंह विशिष्ट अतिथि थे। यूएसए की स्टेट वर्जिनिया यूनिवर्सिटी से डॉ. उमेश के. रेड्डी इसमें मुख्य वक्ता थे। अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके सहरावत ने कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सभी का स्वागत किया। कृषि शिक्षा दिवस को प्रतिवर्ष देश के प्रथम राष्ट्रपति व प्रथम केंद्रीय कृषि मंत्री भारत रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कहा कि कृषि को युवा आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण हासिल कर एक बिजनेस का रूप दे सकते हैं। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि युवाओं को कृषि से जोडऩे के लिए ज्यादा से ज्यादा कृषि संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएं और संबंधित क्षेत्र की विस्तृत रूप से जानकारी देने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाएं जाने चाहिए। साथ ही शिक्षा को कृषि आधारित बनाया जाना चाहिए और उसे अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखकर विद्यार्थियों को शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि शिक्षा पूरी होते ही वे इस क्षेत्र में अपना भविष्य बना सकें और देश मेें भी कृषि क्षेत्र को अधिक मजबूत बनाया जा सके।
कृषि शिक्षा मानव जाति की सेवा का पवित्र मार्ग : डॉ. एच.के. चौधरी
सीएसके हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति डॉ. एच.के. चौधरी ने कहा कि हमारे देश की अधिकतर जनसंख्या कृषि पर आधारित है। ऐसे में इतने बड़े तबके को कृषि संबंधी शिक्षा देकर जागरूक करना अपने आप में मानव जाति की सेवा करने का सबसे पवित्र मार्ग हो सकता है। इसलिए कृषि वैज्ञानिकों को चाहिए कि वे अपने कार्य को बड़ी कर्तव्यनिष्ठा और लगन से करते हुए किसानों की भलाई के लिए नई-नई तकनीकों व विभिन्न फसलों की उन्नत किस्मों का विकास करें। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. ए.के. सिंह ने कहा कि वर्तमान में भारतीय किसानों के सामने अनेक चुनौतियां हैं, लेकिन इन चुनौतियों के बीच में कई अवसर भी हैं जिनके माध्यम से किसान खेती-बाड़ी से अच्छी आमदनी कमा सकते हैं। इसके लिए युवा किसानों को चुनौतियों को अवसर में बदलने का हुनर सिखना होगा। यूएसए की स्टेट वर्जिनिया यूनिवर्सिटी से डॉ. उमेश के. रेड्डी ने कहा कि युवाओं के लिए विदेशों में भी कृषि को एक व्यवसाय के रूप में स्थापित करने का सुनहरा मौका है। इसके लिए युवा अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखकर अपने कृषि उत्पादों को तैयार करें और अधिक मुनाफा कमाएं। युवा कृषि व्यवसाय को एक ब्रांड के रूप मेें स्थापित करें।
स्कूली विद्यार्थियों ने भी लिया हिस्सा
कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. ए.के. छाबड़ा ने बताया कि इस वेबिनार में हिसार, भिवानी, सिरसा, यमुनानगर सहित चंडीगढ़ के विभिन्न स्कूलों के करीब 500 विद्यार्थियों ने भी हिस्सा लिया। कृषि महाविद्यालय के सह अधिष्ठाता एवं वेबिनार के संयोजक डॉ. एस.के. पाहुजा के अनुसार इस वेबिनार के दौरान कृषि के महत्व, इसके क्षेत्र, देश के संदर्भ में इसकी उपयोगिता, कृषि क्षेत्र में अवसर और कृषि इंटरप्रेन्योर आदि की जानकारी दी गई ताकि इस विषय के संबंध में उनमें रूचि जागृत हो सके। ऑनलाइन वेबिनार में विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक, विद्यार्थी व किसान भी जुड़े हुए थे।

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Jeewan Aadhar Editor Desk