नोटबंदी के बाद किसान आंदोलन में लगातार 22 किसान अपनी जान की कुर्बानी देना चिंता का विषय
हिसार,
हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष व अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव बजरंग गर्ग ने किसान आंदोलन के दौरान जान गवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने कहा कि शहीद हुए किसानों की कुर्बानी व्यस्त नहीं जाएगी। केंद्र सरकार को देर सवेर तीन कृषि काले कानून को वापिस लेने होंगे क्योंकि कृषि कानून पूरी तरह से किसान व आढ़ती ही नहीं आम जनता विरोधी कानून है। कृषि कानून से देश व प्रदेश के किसान, आढ़ती व आप जनता को भारी नुकसान होगा।
प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि केंद्र व हरियाणा सरकार तीन कृषि कानून को वापिस लेने की बजाए ड्रामाबाजी करके किसान आंदोलन से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश में लगी हुई है। पूरे देश के हर वर्ग का नागरिक किसानों के साथ खड़ा है। अफसोस की बात है कि 25 दिन से भारी ठंड में लाखों किसान सड़कों पर बढ़-चढ़कर आंदोलन कर रहे हैं मगर सरकार अंबानी व अडानी के दबाव में तीन कृषि कानून वापिस लेने में देरी कर रही है। नोटबंदी के समय भी काफी लोग बैंकों की लाईनों में लगकर अपनी जान गवा चुके हैं। उसी प्रकार किसान आंदोलन में लगभग अब तक 22 किसान व बाबा संतराम सिंह अपनी जान की कुर्बानी दे चुके हैं मगर तानाशाही सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है।
बजरंग गर्ग ने कहा कि तीन कृषि काले कानून से देश व प्रदेश का किसान, आढ़ती व मजदूर बर्बाद हो जाएगा। इससे देश में बेतहाशा महंगाई बढ़ेगी और लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। सरकार की गलत नीतियों से देश व प्रदेश में पहले ही लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं और व्यापार व उद्योग धंधे ठप्प हो गई है। कोरोना महामारी में भी लाखों लोग का रोजगार चला गया है। भारत देश कृषि प्रधान देश है। किसान को जब फसल के उचित दाम नहीं मिलेंगे तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।