एचएयू में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौ. चरण सिंह की 118वीं जयंती मनाई
हिसार,
देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौ. चरण सिंह जी जीवन पर्यन्त किसानों के उत्थान के लिए प्रयासरत रहे। देश के प्रधानमंत्री रहते हुए भी उनकी पहचान किसान के रूप में ही रही। अपने कार्यकाल के दौरान किसानों के जीवन को बेहतर बनाने का हर संभव प्रयास किया और कई कृषि बिल पारित किए गए। किसानों के लिए इनके अतुलनीय योगदान के कारण ही साल 2001 से 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जाने लगा।
यह बात हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. समर सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह की 118वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि देते हुए कही। उन्होंने कहा कि चौ. चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ में हुआ। उनका मानना था कि किसान जब खेत में मेहनत करके अनाज पैदा करते हैं तभी वह हमारी थालियों तक पहुंच पाता है। ऐसे में किसानों का सम्मान करना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री सदैव किसानों के हितैषी रहे और उन्हें किसानों के मसीहा के तौर पर भी जाना जाता है। किसानों के प्रति उनका प्रेम इसलिए भी था क्योंकि चौ. चरण सिंह खुद एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे और वह उनकी समस्याओं को अच्छी तरह से समझते थे। राजनेता होने के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री एक अच्छे लेखक भी थे। कार्यकाल के दौरान चौ. चरण सिंह ने देश में किसानों के जीवन और स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए नीतियों का एक समूह पेश किया। उन्होंने किसानों के सुधारों के बिल पेश करके देश के कृषि क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभाई थी। किसानों को भारत के आर्थिक विकास की रीढ़ की हड्डी माना जाता है और देश में किसानों के महत्व और देश के समग्र आर्थिक और सामाजिक विकास के बारे में लोगों में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए हर साल किसान दिवस मनाया जा रहा है।
कार्यक्रम के दौरान कुलपति के ओएसडी डॉ. एम.एस. सिद्धपुरिया, कुलसचिव डॉ. बी.आर. कंबोज के अलावा विश्वविद्यालय के सभी अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष, अधिकारी के अलावा शिक्षक व गैर शिक्षक कर्मचारी मौजूद रहे।