हिसार

वैज्ञानिकों की नई किस्मों व तकनीकों को किसानों द्वारा अपनाना ही सबसे बड़ी उपलब्धि : कुलपति

एचएयू कुलपति ने विश्वविद्यालय के तिलहन अनुभाग के अनुसंधान क्षेत्र में चल रहे प्रयोगों का लिया जायजा

हिसार,
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कहा है कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई नई तकनीकों व विभिन्न किस्मों की उन्नत किस्मों को किसानों द्वारा अपनाया जाना ही वैज्ञानिकों के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है। वैज्ञानिक किसानों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए विभिन्न माध्यमों से उनकी आय में बढ़ोतरी के लिए प्रयासरत है। कुलपति प्रो. समर सिंह विश्वविद्यालय के तिलहन अनुभाग के अनुसंधान क्षेत्र में चल रहे प्रयोगों का जायजा लेने के उपरांत वैज्ञानिकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कई बार देखने में आया है कि ऐसी तकनीक व उपकरण को इजाद कर लिया जाता है, जो आम किसान की पहुंच से बाहर होती है, ऐसे में किसान को उसका फायदा नहीं मिल पाता। इसलिए कृषि क्षेत्र में विकसित की जाने वाली नई तकनीक हर किसान की पहुंच तक होनी चाहिए। किसी भी उपकरण की कीमत व उसके अधिकाधिक उपयोग को ध्यान में रखकर ही नई तकनीक खोजनी चाहिए। प्रो. समर सिंह ने कहा कि हरियाणा प्रदेश में तिलहन अनुभाग के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित सरसों व राया की उन्नत किस्मों से ही उत्पादन में अद्वितीय बढ़ोतरी हुई है, जो विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है। इसी वजह से विश्वविद्यालय की तिलहन अनुभाग की टीम को वर्ष 2012-13 व 2015-16 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा सर्वश्रेष्ठ केंद्र पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। इस दौरान कुलपति ने अनुसंधान कार्यों के अलावा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित परियोजनाओं का भी अवलोकन किया। उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे सभी फसलों की हाइब्रिड किस्मों को विकसित करने पर जोर दें। उन्होंने वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अनुसंधान कार्यों की सराहना करते हुए भविष्य में भी पूरी लगन व मेहनत से कार्य करने के लिए प्रेरित किया।
लगभग पांच गुणा बढ़ा राया व तिलहन का उत्पादन : डॉ. ए.के. छाबड़ा
कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता व आनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ. ए.के. छाबड़ा ने बताया कि वर्ष 1972-73 में राया व सरसों का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 464 किलोग्राम था जो वर्ष 2017-18 में बढक़र 2018 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गया है, जो विश्वविद्यालय के लिए बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने अब तक राया व सरसों की 20 किस्मों को विकसित किया है, जिसमें 11 राज्य व 9 राष्ट्रीय स्तर की हैं। मनुष्य के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए तेल की महत्ता व गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए अनुभाग की ओर से संकर किस्मों को विकसित करने का कार्य प्रगति पर है। तिलहन अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. रामअवतार ने कुलपति महोदय को सरसों व राया की विभिन्न किस्मों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यहां से विकसित सरसों की आर एच 725 उन्नत किस्म बारानी व सिंचित क्षेत्र के लिए समय पर बिजाई के लिए उत्तम किस्म है। इसकी औसत पैदावार भी 25-26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और इसमें तेल की मात्रा भी लगभग 40 प्रतिशत तक होती है। यही कारण है कि इस किस्म के बीज की न केवल हरियाणा बल्कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब व बिहार में भी बहुत अधिक मांग है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. समर सिंह के दौरे के अवसर पर कुलपति के ओएसडी डॉ. एम.एस.सिद्धपुरिया के अलावा अनुभाग के वैज्ञानिक डॉ. नीरज कुमार, डॉ. दलीप सिंह, डॉ. राकेश पूनिया, डॉ. निशा, डॉ. विनोद गोयल, डॉ. नीता लाकड़ा, डॉ. विवेक, डॉ. महावीर,डॉ. राजवीर सिंह, डॉ. मनजीत, रोहित आदि मौजूद थे।

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