हिसार

पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. सिंधू 36 वर्ष की सेवा के बाद सेवानिवृत

हिसार,
पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. डीएस सिंधू 36 वर्ष की सरकारी सेवा के बाद सेवानिवृत हो गए। उनकी सेवानिवृति पर विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों ने उन्हें स्वस्थ जीवन की शुभकामनाएं दीं। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण उन्होंने किसी प्रकार का जश्र-समारोह आदि नहीं करने का फैसला लिया और साधारण तरीके से सेवानिवृत हुए।
डीएस सिंधू का जन्म सन् 1960 में गांव खांडाखेड़ी के मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े होने के नाते इनके कंधों पर शुरू से ही परिवार की जिम्मेदारी रही। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा महाविद्यालय से 1983 में पशु चिकित्सा विज्ञान में स्नातक डिग्री करके डॉ. सिंधू ने छह माह तक पिलानी स्थित एक पशुपालन स्कूल में अध्यापन का कार्य किया। इसके उपरांत उन्होंने हरियाणा में पशुपालन विभाग में बतौर वेटर्नरी सर्जन अपनी सेवाएं शुरू कीं। इस पद पर इन्होंने जींद, पानीपत व राजकीय पशुधन फार्म, हिसार में अपनी सेवाएं दीं। इस दौरान उत्कृष्टï सेवाओं के लिए प्रशासन द्वारा इन्हें कई बार सम्मानित किया गया।
वर्ष 2017 से हिसार में पशुपालन उपनिदेशक कम जिला गौवंश विकास अधिकारी के पद पर तैनात रहकर इन्होंने जिला में कई विकास कार्य करवाए। इस अवधि में इन्होंने जिला में 15 नए पशु औषधालय खुलवाए तथा 14 पशु औषधालयों का दर्जा बढ़वाकर पशु चिकित्सालय बनवाए। डॉ. सिंधू के प्रयासों से गांव खांडा खेड़ी में 34 करोड़ रुपये की लागत से लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय का मुर्रा अनुसंधान व कौशल विकास केंद्र की स्थापना व निर्माण कार्य शुरू हुआ। इस केंद्र से क्षेत्र के पशुपालकों को रोजगार व प्रशिक्षण दिलवाकर पशुपालन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा और क्षेत्र के विकास को नई गति मिलेगी।
इन्होंने लुवास विश्वविद्यालय का संवितरण व आदान-प्रदान अधिकारी व राजकीय पशुधन फार्म हिसार महानिदेशक पशुपालन व प्रबंध निदेशक हरियाणा पशुधन विकास बोर्ड के प्रतिनिधि के रूप में अपनी जिम्मेदारी को लगन से पूरा किया। अपनी सेवानिवृत्ति पर डॉ. सिंधू ने कहा कि कत्र्तव्यनिष्ठïा व ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने पर जो आत्मसंतुष्टिï का अनुभव होता है वह अन्य किसी बात में नहीं होता है।

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