हिसार में युवा किसान सम्मेलन आयोजित, कारगिल युद्ध के कमांडो रामेश्वर श्योराण रहे कन्वीनर
हिसार,
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलन में अब युवा वर्ग भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके तहत युवा वर्ग अब दिल्ली में न केवल मंच संभालेगा बल्कि आंदोलन की हर कड़ी में अपनी भूमिका अदा करेगा।
यह बात संयुक्त किसान मोर्चा लीगल सैल के मुख्य नेता रमिन्द्र सिंह पटियाला ने हिसार में संयुक्त किसान युवा मोर्चा कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस आंदोलन को हर तरह से बदनाम करने व विफल करने का प्रयास किया है लेकिन सरकार को हर बार मुंहतोड़ जवाब मिला है। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी की घटना से आंदोलन को बदनाम करने व गलत दिशा में मोड़ने में जब सरकार सफल नहीं हुई तो अब यह कहना शुरू कर दिया कि आंदोलन से युवा वर्ग दूर है। ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसला किया है कि अब युवा वर्ग को आंदोलन में महत्वपूर्ण मोर्चे पर रखकर आंदोलन लड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सरकार ने संवैधानिक तरीकों को पीछे धकेलकर ये कानून लागू किए हैं। सरकार देशभर में अनाज का संकट पैदा करके इसका व्यापार करके मुनाफा कमाने की योजना बना रही है और इससे देश के कारपोरेट घरानों को लाभ होगा। इन कानूनों के जरिए सरकार सरकारी मंडी खत्म करके किसानों की जमीनें छीनने का प्रयास कर रही है। सरकार इन कानूनों को लागू करके बिचौलिये समाप्त करने की बात कर रही है जबकि पहले से कहीं ज्यादा बिचौलिए अब पैदा हो जाएंगे।
रमिन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार कोरोना के डरावे में देश को बंद करके ये कानून लाई थी लेकिन पंजाब के जत्थेबंदियों ने गांव—गांव जाकर एक आंदोलन तैयार किया और अब हरियाणा भी पंजाब के साथ आंदोलन में बराबर का हाथ बंटा रहा है। पश्चिमी यूपी व राजस्थान भी अब उठ खड़े हुए हैं और अब देशभर में यह आंदोलन उठ खड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि संविधान के तहत केन्द्र फूड स्टप पर कानून बना सकता है लेकिन फूड ग्रेन पर नहीं बना सकता लेकिन सरकार ने सभी संवैधानिक मर्यादाओं को ताक पर रख दिया है। सुप्रीम कोर्ट भी इन कानूनों की संवैधानिकता पर सुनवाई नहीं कर रहा बल्कि किसान आंदोलन पर सुनवाई कर रहा है। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी की घटना के बाद से 149 किसानों की गिरफ्तारी हुई है, अनेक किसान व ट्रेक्टर गायब है। उन्होंने खुलासा किया कि किसान आंदोलन मुख्यत: तीन सिद्धांतों पर चलेगा, जिनमें आंदोलन की आजादी बरकरार रहे और यह किसी राजनीतिक पार्टी का आंदोलन न बनें, सभी को यह समझना होगा कि कोई एक यूनियन या एक व्यक्ति यह लड़ाई नहीं लड़ सकती इसलिए जन—जन को इससे जोड़ना व जुड़ना होगा तथा कोई भी आंदोलन हो, वह सौहार्दपूर्ण रहे और हिंसक न बने ताकि सरकार इसे कुचल न पाए।
युवा सम्मेलन के कन्वीनर एवं कारगिल युद्ध एवं मुंबई ताज होटल के कमांडो रामेश्वर श्योराण ने इस अवसर पर कहा कि सरकार ने बातचीत से मुंह मोड़कर दिखा दिया है कि यह लड़ाई लंबी चलेगी। उन्होंने कहा कि लंबी लड़ाई का नुकसान नहीं बल्कि फायदा भी है कि इस दौरान जाति, धर्म, सम्प्रदाय व क्षेत्रवाद की दीवारें समाप्त हो चुकी है और पूरा देश किसानों के समर्थन में एकजुट होकर आगे आया है। सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि एवं प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग ने कहा कि व्यापार मंडल किसान आंदोलन में साथ था और रहेगा। किसानों व व्यापारियों का चोली दामन का साथ हैं और वह कायम रहना चाहिए। सम्मेलन में विभिन्न क्षेत्रों से आए युवा शामिल रहे।