धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—280

आधी रात में एक संत के घर का दरवाजा किसी ने खटखटाया। दरवाजा खोला तो देखा कि उनका शिष्य बाहर खड़ा था और उसके हाथ में धन से भरी थैली थी। शिष्य ने संत को प्रणाम किया और बोला कि गुरुदेव मुझे ये धन अभी दान करना है।

संत ने कहा कि दान तो सुबह भी कर सकते हो, इतनी रात में आने की जरूरत नहीं थी। शिष्य ने जवाब दिया कि गुरुजी आप ही समझाते हैं कि जब भी अच्छा काम करने का विचार आए तो काम कर देना चाहिए, बाद में मन बदल भी सकता है। बुरा काम करने से पहले बार-बार सोचना चाहिए, लेकिन अच्छा काम तुरंत करना चाहिए। मैंने सोचा कि अगर मैं अभी नहीं गया तो बुरे विचारों की वजह से सुबह तक मेरा मन बदल सकता है। इसीलिए मैं ये धन लेकर अभी आ गया हूं।

शिष्य की ये बातें सुनकर संत ने उसे गले लगा लिया। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति इस बात को जीवन में उतार ले तो वह कभी भी बुरे काम नहीं कर सकता और उसे जीवन में कभी भी असफलता का सामना नहीं करना पड़ेगा।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, हमारे मन में कई तरह के विचार हमेशा चलते रहते हैं। अगर कभी भी हम कुछ अच्छा काम करने के बारे में सोच रहे हैं तो वह तुरंत कर देना चाहिए। वरना बुरे विचारों की वजह से हमारा मन बदल सकता है। बुरा काम करने से पहले बार-बार सोचेंगे तो हम अधर्म से बच सकते हैं।

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