धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—327

पुराने समय में एक राजा के राज्य में विद्वान संत रहते थे। एक दिन संत अपने राजा से मिलने पहुंचे। राजा ने संत की खूब सेवा की। राजा की सेवा से प्रसन्न होकर संत ने जाते समय उसे एक ताबीज दिया। संत बोले, ‘ जब आपको ऐसा लगे कि आप किसी बड़ी मुसीबत में फंस गए हो और कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है। सब कुछ खत्म हो गया है, तब इस ताबीज को खोल लेना। इसमें एक दिव्य मंत्र लिखा है। ये पढ़ लेना। लेकिन, इसे बुरे समय में ही खोलना। ये बात ध्यान रखना। राजा ने ताबीज गले में पहन लिया।

कुछ दिन बाद पड़ोसी राजाओं ने राजा के राज्य पर आक्रमण कर दिया। शत्रु काफी ज्यादा थे। राजा अकेला था, इस वजह से उसकी सेना हार गई। किसी तरह राजा अपनी जान बचाकर जंगल में भाग गया। वह एक गुफा में छिप गया।

गुफा में उसे शत्रु सैनिकों के कदमों की आवाज सुनाई दी तो उसे लगा कि अब मैं फंस गया हूं, सब खत्म हो गया। सैनिक बंदी बना लेंगे। तभी उसे संत के ताबीज की याद आई। राजा ने तुरंत ही ताबीज खोला और कागज निकाला। उस पर लिखा था कि ये समय भी निकल जाएगा। ये पढ़कर राजा को थोड़ा सुकून मिला।

कुछ ही देर में सैनिक के कदमों की आवाज कम होने लगी। गुफा से झांककर राजा ने देखा तो सैनिक उस जगह से काफी दूर निकल गए थे। राजा तुरंत ही गुफा से बाहर निकला और अपने राज्य में पहुंच गया। इस तरह राजा जीवित बच गया।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, जीवन में अच्छे दिन हो या बुरे दिन, हमेशा नहीं रहते हैं। सुख और दुख, दोनों तरह के समय में ये बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि ये समय भी कट जाएगा। अच्छे दिनों में ऐसे कामों से बचें, जिनसे अहंकार बढ़ता है और बुरे दिनों में धैर्य से काम लें।

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—169

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—239

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—447

Jeewan Aadhar Editor Desk