हिसार

किसान धरने पर गूंजे आर्य समाज के गीत, सरकार को दी कड़ी चेतावनी

सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान स्वामी आर्यवेश व अन्य हुए धरने में शामिल

हिसार,
विभिन्न किसान संगठनों के आह्वान पर चल रहे किसान आंदोलन की कड़ी में जिले के चारों टोल बुधवार को लगातार 69वें दिन भी फ्री रहे। चारों टोलों पर किसानों ने केन्द्र सरकार पर किसानों को परेशान व बदनाम करने के आरोप जड़ते हुए नारेबाजी की।
चौधरीवास टोल प्लाजा पर धरने की संयुक्त अध्यक्षता हनुमान लांबा व रमेश बुर्रे ने की। किसान नेता सुभाष कौशिक व सोमबीर पिलानिया ने बताया कि 5 मार्च को सुबह 11 बजे टोल प्लाजा चौधरीवास के अंतर्गत आने वाले 42 गांवों के सक्रिय कार्यकर्ताओं की अहम बैठक होगी जिसमें अखिल भारतीय किसान मोर्चा द्वारा लिए गए आंदोलन के फैसलों को लागू करने और आगामी समय के लिए धरने को सुचारू रूप से चलाने के लिए रूपरेखा तैयार की जाएगी। आज के धरने में सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान स्वामी आर्यवेश किसान आंदोलन को समर्थन देने टोल प्लाजा चौधरीवास पर पहुंचे। उनके साथ आर्य समाज की उपदेशिका कल्याणी आर्य, मुकेश आर्य, दलवीर आर्य मुकलान, अजीत सिंह आर्य व कई आर्य समाज के अनुयाई धरना स्थल पर पहुंचे। स्वामी आर्यवेश ने किसान आंदोलन का पुरजोर समर्थन किया और मोदी सरकार को नसीहत दी कि समय रहते देशभर के आंदोलनरत किसानों की मांगों को तुरंत मान कर अन्नदाता का सम्मान करें। जब तक ये तीनों काले कानून वापस नहीं होंगे और एमएसपी पर खरीद गारंटी का कानून नहीं बनेगा, तब तक यह आंदोलन वापस नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इस किसान आंदोलन में सैंकड़ों किसानों ने शहादत दे दी है। केंद्र की मोदी सरकार और क्या चाहती है, मोदी सरकार ने तो अपना राजधर्म ही नहीं त्यागा बल्कि मानवतावादी धर्म और संवेदना को भी त्याग दिया है। पिछले 3 महीनों में 265 से ज्यादा आंदोलनकारी किसान शहीद हो गए हैं, देश के प्रधानमंत्री के मुख से उनके प्रति संवेदना के नाम पर एक भी शब्द नहीं निकला है। इससे पता चलता है कि आज कि केंद्र सरकार कितनी निरंकुश व तानाशाह हो गई है।
स्वामी आर्यवेश ने याद दिलाया 1906 में भी शहीद भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह के नेतृत्व में तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ किसानों ने लंबी लड़ाई लड़ी थी। अंत में ब्रिटिश हुकूमत को किसान विरोधी कानूनों को वापस लेना पड़ा था। आज तो देश का लोकतंत्र 74 साल का हो गया है। सरकार को ये तीनों कृषि कानून जो किसान विरोधी ही नहीं जनविरोधी और देश विरोधी भी है, वापस लेने ही होंगे।
धरनास्थल पर आर्य समाज की उपदेशिका कल्याणी आर्य ने भी किसान आंदोलन के ओजस्वी गीतों के माध्यम से ही केंद्र की मोदी सरकार को चेताया। धरने को अखिल भारतीय किसान सभा के राज्य सचिव दयानंद पूनिया, जिला प्रधान शमशेर सिंह नंबरदार, बालसमंद तहसील प्रधान कृष्ण गावड़, भारतीय किसान यूनियन के महासचिव दिलबाग हुड्डा, सतवीर झाझड़िया, रामवीर ढांडा, कुलदीप पूनिया बुड़ाक ने संबोधित किया। धरने को कांग्रेसी नेता रणधीर पनिहार और न्याय पक्ष हरियाणा के संयोजक रणदीप लोचब ने भी किसान आंदोलन का समर्थन किया। धरने में जगदीश लांबा, कृष्ण लांबा, मांगेराम जाखड़, रमेश बिश्नोई, सरदार बाज सिंह, कक्का सिंह, भरत बराला, रामकिशन, बारुराम प्रधान, राजेंद्र सरसाना, डॉक्टर करतार सिंह, गांव बूरे से मनदीप, प्रदीप, कृष्ण, अजमेर, मांगेराम, जयभगवान, कुलदीप, सुभाष पनिहार, सोमवीर, राजेश जांगड़ा, सोमबीर मिस्त्री, सत्यवीर भाकर, जरनैल सिंह झंडा, बलवीर प्रजापत, रोशनलाल, भजनलाल काकड, नरसी राम सहित सैंकड़ों किसान मजदूर शामिल हुए।

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