श्री प्रहलाद चरित्र कथा का समापन
हिसार,
‘देवासुरो मनुष्यो वा यक्षा गन्धर्व एवच, भजन मुकुंद चरणं स्वस्तिमान स्याद याथ वयंम्।’ कोई देव हो, मनुष्य हो, यक्ष हो, गन्धर्व हो, कोई कैसा भी हो जिस प्रकार से दैत्य कुल में श्री प्रहलाद पर प्रभु ने अनुग्रह किया। ऐसे ही प्रभु का भजन करे तो ‘हीरे को भजे सौ हरि का कोई’ वह भगवान को हो जाता है। भगवान उसकी रक्षा करते हैं। उक्त उद्गार उत्तर प्रदेश से पधारे परम श्रद्धेय श्री अत्री महाराज शुकतीर्थ ने स्थानीय डाबड़ा चौक स्थित एस.बी. रेस्तरां के प्रांगण में होली पर्व पर तीन दिवसीय श्री प्रहलाद चरित्र कथा के अंतिम दिन उपस्थित श्रद्धालुओं के बीच व्यक्त किए।
कथा का शुभारंभ राज कुमारी बजाज, रेणु पुनियानी, देष्णा कक्कड़, साक्षी बजाज, प्रियंका कालरा ने दीप प्रज्जवलित कर किया तथा ज्योति दिमान, नितिका बजाज, दीपाली ठकराल, हिमांशु महता, रंजू सेठी व वंदना आनंद ने कथा व्यास की आरती की व प्रसाद वितरण किया।
अत्री महाराज ने बताया कि प्रहलाद को मारने के लिए अनेक प्रयत्न किए गए उनको विषपान कराया गया, हाथियों के नीचे डाल दिया गया। होलीका उनको अग्रि में लेकर के बैठी किंतु प्रभु ने हर हाल में उनकी रक्षा की। तभी से सभी सनातन धर्मी फाल्गुन धर्मी फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होली का दहन करते हैं दहन के पूर्व प्रात:काल प्रहलाद जी सुरक्षित अग्नि से वापिस लौटे तथा वहां जितने भी भगवत भक्त थे वो सब लड़कियों की उस धुल को उड़ाकर एक-दूसरे पर लगाकर उत्सव मनाने लगे। इसलिए होली का पर्व खूब उत्साह, उमंग एवं उल्लास के साथ मनाना चाहिए। उन्होंने सुंदर भजनों ‘मेरे सिर पर रख दो बनवारी अपने दोनों ये हाथ देना हो तो दीजिए जन्म-जन्म का साथ’, ‘ऐसी होरी तोय खिलाऊं, दूध छठी को याद दिलाऊं’, ‘मेरो खोए गयो बाजूबंद रसिया होरी में’, ‘काले को लाल बनाए गई रे, गौरी बरसाने वारी’, ‘हो कान्हा मत मारे पिकारी मेरे घर सास लड़ेगी रे’ आदि भजनों पर श्रद्धालु खूब झूमे।
इस मौके पर इंद्र बजाज,सुमीत बजाज,भारत मदान,मयंक बजाज,दीपक जुनेजा,साहिल खोखर,दिनेश ठकराल,सुनील शर्मा,साक्षी बजाज, नितिका बजाज, रेणु पुनियानी, ज्योति दिमान आदि उपस्थित रहे।