राजस्थान हिसार

स्वामी सच्चिदानंद शास्त्री ने जांभाणी साखी से किया मेहमानों एवं आभासी मंच पर उपस्थित विद्वानों का स्वागत

मध्यकालीन रामकाव्य को जांभाणी साहित्यकारों की देन विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेब-संगोष्ठी आयोजित

हिसार,
राजकीय महाविद्यालय बावड़ी एवं जांभाणी साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में ‘मध्यकालीन राम काव्य को जांभाणी साहित्यकारों की देन’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेब-संगोष्ठी आयोजित की गई। वेब संगोष्ठी का शुभारंभ स्वामी सच्चिदानंद शास्त्री ने जांभाणी साखी से किया तथा मेहमानों एवं आभासी मंच पर उपस्थित सभी विद्वानों का स्वागत महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ.संतोष कुमारी ने किया।
प्राचार्य ने बताया कि महज तीन वर्ष पूर्व आरंभ हुए महाविद्यालय का यह प्रथम राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जिनमें हमें अकादमी का एवं राष्ट्र के विभिन्न विश्वविद्यालयों के हिंदी साहित्य प्रेमियों का योगदान मिला है, यह हमारे लिए निश्चित रूप से गौरव का क्षण है। वेब संगोष्ठी की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए संगोष्ठी संयोजिका डॉ.पुष्पा बिश्नोई ने अपभ्रंश, हिंदी, राजस्थानी एवं मध्यकालीन भारतीय भाषाओं में राम के चरित्र संबंधी काव्यों का उल्लेख करते हुए बताया कि राम आदि से आज तक भारतीय साहित्य में किसी न किसी रूप में विद्यमान हैं और सभी काल के कवियों, साहित्यकारों के आकर्षण के केंद्र रहे हैं। आभासी मंच पर वेब संगोष्ठी को आशीर्वचन जांभाणी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष स्वामी कृष्णानंद आचार्य का मिला। इन्होंने गुरु जांभोजी की वाणी में रामचरित संबंधी प्रसंगों की विभिन्न नवीन उद्भाभवनाओं को प्रस्तुत किया तथा जांभाणी रामकाव्य के लौकिक स्वरूप पर सारगर्भित एवं समन्वित प्रकाश डाला। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं दैनिक जागरण के भोपाल के संपादक मदनमोहन गुप्त ने मध्यकालीन साहित्य में रामकाव्य को हिंदी की अमूल्य थाती बताते हुए कहा कि राम के चरित में शील, संयम और मर्यादा का श्रेष्ठ समन्वय होने के कारण संपूर्ण मानव समाज के लिए आदर्श हैं। राम लोक में सर्वत्र व्याप्त है और राम भारतीय संस्कृति के प्रतीक है। राम सर्वकालिक एवं सर्वलोकिक है। आपने व्याख्यान में राम के लोक रक्षक एवं लोकानुरंजन स्वरूप को भी रेखांकित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के पूर्व कुलपति, महामहोपाध्याय प्रो. वेद प्रकाश आचार्य ने रामकाव्य धारा की अविरल परंपरा के साथ जांभाणी रामकाव्य पर विचार-विमर्श करते हुए जांभाणी रामकाव्य को हिंदी रामकाव्य धारा की अमूल्य धरोहर बताया। आपने मेहा रामायण व सुरजनदास पूनिया कृत रामरासौ की कथावस्तु का उपजीव्य ग्रंथ वाल्मीकि रामायण एवं अध्यात्म रामायण के साथ तुलनात्मक समन्वय करते हुए विशिष्ट वक्तव्य दिया।
संत साहित्य मर्मज्ञ ब्रजेंद्र कुमार सिंघल ने हिंदी रामभक्ति धारा के संदर्भ में जांभाणी राम काव्य के मूल में भक्ति पर बल दिया। गुरु जांभोजी की परंपरा में हुए विभिन्न संतकवियों के भक्ति विषयक अवदान को रेखांकित करते हुए आपने रामसर एवं जंभ सरोवर के माध्यम से भी राम काव्यकथा को रोचक बनाया,साथ ही राम काव्य के लोकिक स्वरूप की नवीन मौलिक उदभावना भी व्यक्त की।
जांभाणी रामकाव्य के अध्येता डॉ. रामस्वरूप ने मध्यकालीन जांभाणी रामकाव्य मेहाजी गोदारा कृत रामायण एवं महात्मा सुरजनदास पूनिया कृत रामरासौ की रामकथा विषयक अनेक नवीन मौलिक उदभावना व्यक्त करते हुए इन रचनाओं के काव्यगत वैशिष्टय पर विस्तृत प्रकाश डाला। इन्होंने बताया कि मेहा रामायण राजस्थानी भाषा का प्रथम राम आख्यान काव्य है तथा राजस्थानी भाषा में रामकाव्य का आरंभ भी इन्हीं से माना जाता है। रामरासौ लोक परंपराओं से अनुप्राणित अनूठी कृति है। जांभाणी रामकथा काव्य किसी समाज, जाति,धर्म या क्षेत्र विशेष की निधि नहीं है, अपितु मानव मात्र की अमूल्य सम्पति है। इनमें महर्षि वाल्मीकि द्वारा विभावित आदर्श संसार है। कार्यक्रम के अंत में अकादमी के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. बनवारीलाल सहू ने धन्यवाद एवं आभार प्रकट किया, साथ ही इस वेब संगोष्ठी की समीक्षा करते हुए जांभाणी साहित्य में शोध के विभिन्न नवीन आयामों पर भी प्रकाश डाला। इस वेब संगोष्ठी के सूत्रधार एवं सफल संयोजक अकादमी के महासचिव डॉ. सुरेंद्र कुमार रहे। इस वेब संगोष्ठी का सजीव प्रसारण जूम एप एवं फेसबुक पेज के माध्यम से तकनीकी समन्वय डॉ.लालचंद बिश्नोई ने अतिव कुशलापूर्वक किया। इस वेब संगोष्ठी में नेपाल सहित भारत के संपूर्ण राज्यों के दो हजार से अधिक विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर्स, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं अकादमी के समस्त सम्माननीय सदस्यों सहित अनेक रामकाव्य प्रेमियों ने जूम एप व फेसबुक पर अपनी सहभागिता दर्ज की। अकादमी के पदाधिकारी वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.कृष्णलाल बिश्नोई, इंजी. आर. के. बिश्नोई, डॉ. इंदिरा बिश्नोई एवं महाविद्यालय शिक्षा विभाग से डॉ. बी.एल. भादू, डॉ.बलबीर चौधरी, डॉ.सोहनलाल, डॉ. प्रकाश अमरावत, डॉ. अजाज अहमद कादरी, डॉ.हेमू चौधरी, डॉ.ईश्वर राम, डॉ. मीनाक्षी बोराणा, डॉ.सोहनराज परमार, डॉ. राधा कुमारी, डॉ. हरीश कुमार, डॉ. मीनाक्षी शर्मा, डॉ. बबीता काजल, प्रोफेसर प्रकाश नारायण, प्रो. विनोद तनेजा आदि राम काव्य मर्मज्ञ विद्वानों की जूम एप पर आरंभ से लेकर अंत तक सक्रिय सहभागिता रही।

Related posts

कोटा नेशनल कॉन्फ्रेंस में प्राध्यापक राकेश शर्मा को मिला विशेष सम्मान

Jeewan Aadhar Editor Desk

कविता प्रतियोगिता में विजय व प्रवीण रहे प्रथम

Jeewan Aadhar Editor Desk

एचएयू व कृषि विभाग मिलकर कपास फसल की बिजाई के लिए करेगा जागरूक