हिसार

श्मसान में जिस बगिया को संवारा उसकी मिट्टी भी नही हो पाई नसीब

आदमपुर में समाजसेवा के बल पर सरंपच सुभाष अग्रवाल ने बनाई थी अलग पहचान

आदमपुर (अग्रवाल)
आदमपुर के श्मसान घाट (बैकुंठ धाम) में जिस बगिया को दिन-रात मेहनत कर संवारा उसकी मिट्टी भी नसीब नही हो पाई। कुछ ऐसा ही मंडी आदमपुर के सरपंच सुभाष अग्रवाल के साथ हुआ। पिछले कुछ दिनों से रतिया के निजी अस्पताल में उपचाराधीन मंडी आदमपुर के सरपंच सुभाष अग्रवाल की शनिवार रात को कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई। रविवार को कोविड प्रोटोकाल के तहत रतिया में सरपंच सुभाष अग्रवाल का अंतिम संस्कार किया।

रविवार सुबह जैसे ही सरपंच के निधन का समाचार लोगों को मिला तो एक बारगी किसी को यकीन ही नही हुआ। बाद में पूर आदमपुर में शोक की लहर दौड़ गई। पिछले कई सालों से सरपंच आदमपुर बैकुंठ धाम को संवारने में लगे थे और मेहनत के दम पर श्मसान को एक बगिया का रूप दे दिया। लोगों की जुबां पर एक ही बात थी कुदरत के आगे किसका जोर चलता है। पिछले करीब 11 सालों से आदमपुर में जनसेवा के चलते 24 जनवरी 2016 को हुए पंचायत चुनाव में आदमपुर मंडी की जनता 2010 के चुनावों से ज्यादा मतों से दूसरी बार विजयी बनाया था। सरकार द्वारा पंचायत का दर्जा खत्म करने के साथ ही नगरपालिका बनने की आस लगाए बैठे लोग सरपंच सुभाष अग्रवाल को चेयरमैन चुनने का मन बना चुके थे। लेकिन होनी को कौन टाल सकता है।

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