हिसार

महामारी ने प्राइवेट शिक्षकों की तोड़ी कमर, कोई बना किसान तो कोई बेच रहा नमक—हल्दी

आदमपुर,
आदमपुर क्षेत्र के करीब डेढ़ दर्जन निजी स्कूलों से जुड़े 250 से अधिक शिक्षकों की महामारी ने कमर तोड़ दी है। दूसरी ओर कोचिंग-ट्यूशन पढ़ाने वाले हजारों शिक्षक बेरोजगार हो गए। क्षेत्र के आधे से अधिक निजी स्कूलों के शिक्षक रोजगार की जंग लड़ रहे हैं।

इधर, स्कूल संचालकों का तर्क है कि कोरोनाकाल में पिछले सवा साल से बच्चों की फीस ही पूरी नहीं मिल रही है तो कैसे शिक्षकों का पूरा वेतन चुकाएं। ऐसे में कई निजी स्कूलों के मजबूर शिक्षकों ने रोजगार की राह बदल ली है। कई शिक्षकों ने गांव में परचून की दुकान खोल ली, कई अध्यापक खेतों में सब्जी उगा रहे हैं, तो किसी ने ठेके पर जमीन लेकर कपास की खेती कर रहे हैं तो किसी ने अपने हुनर के दम पर दूसरा रोजगार हासिल कर लिया। लेडिज टीचर भी घरों में सिलाई—कढ़ाई के काम करने लगी है। वहीं कुछ घर से ही लेडिज समान बेचने में लगी हुई है।

प्राइवेट स्कूल के टीचर्स का कहना है कि वे समाज को शिक्षित करने में अपना अह्म योगदान सरकारी अध्यापकों की तुलना में नाममात्र वेतन में दे रहे हैं। लेकिन महामारी के कारण प्राइवेट स्कूलों की हालत काफी खस्ता हो गई है। ऐसे में संचालक अपने लोन की किस्त ही नहीं भर पा रहे तो वे वेतन कहां से दे। उनकी भी मजबूरी है। इसके बावजूद वे कोशिश करके कुछ न कुछ देने का प्रयास निरंतर कर रहे है। सरकार को इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए और मदद के लिए आगे आना चाहिए।

प्राइवेट स्कूल संचालकों का कहाना है कि हमें पूरी फीस नहीं मिल रही है। ऐसे में सरकार को निजी स्कूलों से जुड़े शिक्षकों के लिए राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए। उनके लिए ज्यादा नहीं तो आधे वेतन का प्रबंध करना चाहिए।

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