हिसार,
मिड डे मील वर्कर यूनियन ने उपायुक्त कार्यालय के समक्ष धरना लगाकर केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ व अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की। कार्यक्रम की अध्यक्षता नीलम ने की जबकि संचालन कमला आर्यनगर ने किया।
धरने को संबोधित करते हुए सीटू के जिला सचिव कामरेड सुरेश कुमार ने बताया कि सरकारी स्कूलों में जो देश का भविष्य आज के बच्चे हैं, उनको मिड डे मील में कार्यरत महिलाएं स्वच्छ भोजन उपलब्ध करवाती हैं और खुद 3500 प्रति माह में अपना व परिवार का गुजारा करने को मजबूर हैं। सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन तक उनको नहीं दिया जाता। इसकी और गहराई में जाएं तो एक साल में से 10 महीने का ही वेतन दिया जाता है जिससे इस महंगाई के जमाने में एक परिवार का गुजारा होना असंभव है। सरकार इतनी बेरहम है कि इसकी समस्या को सुनने के लिए तैयार नहीं है।
अधिकारियों को दिए गए मांगपत्र में मांग की गई है कि मिड डे मील में कार्यरत महिलाओं को पक्का किया जाए, 24000 रुपये न्यूनतम वेतन घोषित किया जाए और तब तक सरकार द्वारा पहले से घोषित न्यूनतम वेतन दिया जाए, 10 महीने की बजाय पूरे साल का वेतन दिया जाए, वर्दी भत्ता 1200 रुपये घोषित किया जाए, रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष की जाए, कोरोना से मिड डे मील वर्कर की मौत होने पर 50 लाख का मुआवजा दिया जाए, कृषि के तीनों कानून रद किए जाएं, वर्ष 2019, 2020 व 2021 का बकाया वर्दी भत्ता तुरंत दिया जाए, कोरोना वेक्सीन फ्री दी जाए, श्रम कानूनों में बदलाव तुरंत वापस लिया जाए। धरने में उर्मिला, शर्मिला, रूपा रानी, रितु, रेखा, भागवती, भतेरी, ममता, प्रेम सातरोड, कृष्णा सातरोड व सोमदत्त शिवाह आदि ने हिस्सा लिया।