हिसार

जितेंद्र—सितेंद्र के ‘खेल’ में आदमपुर तहसील कार्यालय की भूमिका भी संदिग्ध

आदमपुर,
जितेंद्र—सितेंद्र मामले में तहसील कार्यालय की भूमिका भी अब संदिग्ध नजर आने लगी है। आदमपुर के व्यापारियों और किसानों के करीब 4 करोड़ 10 लाख रुपए की देनदारी छोड़कर फरार चल रहे दोनों भाई जितेंद्र पाल व सितेंद्र पाल ने 16 अप्रैल को अपनी रानीबाग स्थित 2 कोठियों को बेच दिया था। व्यापारी संदीप गोयल के मुताबिक, रजिस्ट्री नम्बर 194/195 में कोठियों की जगह रिहायशी प्लाट दिखाया है। ऐसे में तहसील कार्यालय की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।
दरअसल,जमीन की रजिस्ट्री गलत तरीके या संबंधित दस्तावेजों की कमी के लिए तहसीलदार जिम्मेदार होता है। इसको लेकर सीएम, डिप्टी सीएम सहित कई मंत्री समय—समय पर लोगों और अधिकारियों को सचेत भी करते रहते हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कोठियों की जगह कम कीमत में रिहायशी प्लाट दिखाकर आदमपुर तहसील में रजिस्ट्री कैसे हो गई।
बताया जा रहा है आदमपुर तहसील में रजिस्ट्री गोलमाल का खेल काफी पुराना चला रहा है। यहां पर रजिस्ट्री के समय कोई भी अधिकारी कभी भी मौका देखने की जहमत नहीं उठाता। इसके पीछे पूरा खेल चलता है और राजस्व को काफी चूना लगाया जाता है। इसी खेल का फायदा उठाकर जितेंद्र—सितेंद्र ने अपनी कोठियों को महज रिहायशी प्लाट दिखाकर बेच दिया और राजस्व विभाग को चूना लगाने के साथ—साथ आदमपुर के व्यापारियों को भी चूना लगा दिया। जितेंद्र—सितेंद्र से आर्थिक मार खा चुके कुछ लोग अब आदमपुर तहसील की शिकायत सीएम और डिप्टी सीएम से करने की तैयारियां भी कर रहे है।

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